जयपुर। राजस्थान सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा में संचालित दो-दो नगर निगमों को एक करने के निर्णय के बाद अब उनके एकीकरण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर दी है। वार्डों का पुनर्गठन पूरा होने के बाद अब सरकार ने प्रशासनिक ढांचे के एकीकरण और वित्तीय संरचना के आकलन की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
राज्य सरकार ने तीनों शहरों के सभी निगम आयुक्तों को पत्र लिखकर एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस प्रस्ताव में यह विवरण मांगा गया है कि एकीकरण के बाद—नए नगर निगम का प्रशासनिक ढांचा कैसा होगा,कितने जोन एरिया बनाए जाएंगे,प्रत्येक जोन में कितने अधिकारी एवं कर्मचारी आवश्यक होंगे,कौन से नए पद सृजित करने होंगे, और कौन से मौजूदा पद विलोपित किए जा सकते हैं। साथ ही, नए निगम के संचालन में आने वाले वित्तीय भार का आकलन भी अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करने को कहा गया है।
जयपुर में नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज के कुल 250 वार्डों को मर्ज कर अब केवल 150 वार्ड निर्धारित किए गए हैं।यह वार्ड पुनर्गठन विधानसभावार किया गया है और इसका गजट नोटिफिकेशन पिछले महीने जारी किया जा चुका है।वहीं, कोटा और जोधपुर में एकीकरण के बाद 100-100 वार्ड बनाए गए हैं, ताकि प्रशासनिक ढांचा अधिक संगठित और कुशल बन सके।
इन तीनों शहरों में वर्तमान में संचालित छह नगर निगमों का कार्यकाल 9 नवंबर 2025 को समाप्त हो जाएगा।इसके बाद प्रत्येक शहर में केवल एक-एक नगर निगम रहेगा और वहां प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे।सरकार ने सभी निगम आयुक्तों को निर्देश दिया है कि वे 7 दिन के भीतर प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजें, ताकि 9 नवंबर के बाद नई व्यवस्था बिना किसी प्रशासनिक व्यवधान के लागू की जा सके।
सरकार के अनुसार, इस एकीकरण से संसाधनों का बेहतर उपयोग,प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि,खर्चों में कमी औरनगर सेवाओं के एकीकृत संचालन में सुविधा होगी। सरकार का मानना है कि यह कदम “सशक्त स्थानीय शासन” की दिशा में एक बड़ा सुधार साबित होगा।