



जयपुर। दुर्गापुरा स्थित शांतिनगर के शांतेश्वर महादेव मंदिर परिसर में चल रही संगीतमय रामकथा के सातवें दिन शुक्रवार को अयोध्या के प्रसिद्ध कथावाचक डॉ. उमाशंकर दास महाराज ने श्री रामचरित मानस में वर्णित शबरी की करुणा-भक्ति का अत्यंत भावपूर्ण चित्रण किया। उन्होंने बताया कि जब भगवान श्री राम और लक्ष्मण मतंग ऋषि के आश्रम पहुँचे तो वर्षों से प्रभु के दर्शनों की प्रतीक्षा कर रही शबरी उनसे मिलकर भाव-विभोर हो गई।
व्यासपीठ से डॉ. दास महाराज ने बताया कि शबरी ने प्रभु श्री राम की आवभगत में अपने हृदय की सम्पूर्ण भक्ति उड़ेल दी। वह अपने कुटिया में पड़ोस से बेर चुनकर लाती, उन्हें एक-एक कर चखती ताकि श्री राम को केवल मीठे एवं श्रेष्ठ बेर ही अर्पित किए जाएं। शबरी की यह निष्कपट और आत्मिक भावना देखकर प्रभु श्री राम अत्यंत प्रसन्न हुए और उसकी भक्ति को संसार के लिए आदर्श बताया।
रामकथा के मुख्य आयोजक सत्यनारायण जैमन ने बताया कि कथा में क्षेत्रवासियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी जारी है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए पहुंच रहे हैं।
इस अवसर पर मंदिर परिसर में स्थापित मंडल वेदी पर मुख्य संयोजक रवि शर्मा, प्रेम गुप्ता, पोखरमल, तरुण शर्मा, हितेंद्र सिंघल, बद्री शर्मा, मक्खन लाल, मनोहर डोलिया और शिवकुमार अग्रवाल ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की। कार्यक्रम के प्रारंभ में धीर सिंह शेखावत ने महाराज का पारंपरिक राजस्थानी साफा बांधकर स्वागत किया।
कथा में आयोजन समिति के सदस्य मुरारीलाल शर्मा, पी.के. शर्मा, रूपसिंह कविया, सीताराम शर्मा, एम.एल. गुप्ता, जगदीश शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।