उदयपुर। उदयपुर के प्रताप गौरव केंद्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ में शनिवार से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत हुई। विषय था— भारतीय कालगणना, पंचांग और ज्योतिष। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति चराचर जगत के कल्याण की बात करती है और यह संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी आज भी जीवित हैं। उन्होंने कहा कि कुंभ के आयोजन इसकी सटीक कालगणना का प्रमाण हैं, जिसमें विदेशी श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में सम्मिलित होते हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार ने अवैध धर्मांतरण रोकने के लिए विधेयक पारित किया है, जिससे विशेषकर जनजाति क्षेत्रों में मिशनरीज की गतिविधियों पर अंकुश लगेगा।
कुमावत ने कहा कि जनजाति संस्कृति से जुड़े आस्था स्थलों के विकास के लिए ट्राइबल टूरिस्ट सर्किट तैयार किया जा रहा है। इसमें मानगढ़धाम, मातृकुंडिया, बेणेश्वर धाम और गौतमेश्वर जैसे स्थलों को शामिल किया गया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि भारतीय कालगणना और ज्योतिष पूर्णतः खगोल-भूगोल और विज्ञान आधारित हैं। इसे सहज, सरल और उदात्त भाव से समाज तक पहुंचाने की जरूरत है और इसके लिए हमें संकल्पित होना होगा।
निंबाराम ने कहा कि जब आधुनिक यंत्र नहीं थे, तब भी भारतीय ऋषि-मुनियों ने ग्रहों की दूरियां और गतियों की सटीक गणना कर ली थी। आज भी कुंभ जैसे आयोजनों की तिथियां बरसों पहले तय हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि कालांतर में हमने अपनी ही परंपराओं और ज्ञान का उपहास करना शुरू किया, जिसके कारण हम अपने विशाल ज्ञान भंडार पर संशय करने लगे।
इस मौके पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के अध्यक्ष प्रो. बी.पी. शर्मा, राजस्थान विद्यापीठ के कुलगुरु कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत, प्रताप गौरव केंद्र के निदेशक अनुराग सक्सेना, महामंत्री पवन शर्मा, पूर्व महापौर गोविंद सिंह टांक और कोटा ओपन यूनिवर्सिटी के कुलगुरु बी.एल. वर्मा सहित कई विद्वान मौजूद रहे। संचालन डॉ. रविशंकर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विवेक भटनागर ने दिया।
उदयपुर प्रवास के दौरान मंत्री जोराराम कुमावत ने सर्किट हाउस में आमजन की समस्याएं सुनीं और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस मौके पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका साफा, दुपट्टा और फूलमालाओं से स्वागत किया। कुमावत ने यहां रक्तदान अभियान के पोस्टर का विमोचन भी किया।