Thursday, 18 December 2025

India: BIS-2025 के तहत नया भूकंपीय जोनिंग नक्शा जारी किया, पहली बार सबसे खतरनाक ज़ोन-VI शामिल, जयपुर, अलवर और भिवाड़ी हाई रिस्क ज़ोन-4 में, 5–6 रिक्टर तक के झटकों का खतरा


India: BIS-2025 के तहत नया भूकंपीय जोनिंग नक्शा जारी किया, पहली बार सबसे खतरनाक ज़ोन-VI शामिल, जयपुर, अलवर और भिवाड़ी हाई रिस्क ज़ोन-4 में, 5–6 रिक्टर तक के झटकों का खतरा

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भारत ने अद्यतन भूकंप डिज़ाइन कोड (BIS-2025) के अंतर्गत संशोधित भूकंपीय जोनिंग मैप जारी किया है। यह नया नक्शा ऐतिहासिक आंकड़ों के बजाय सक्रिय फॉल्ट लाइनों, संभावित अधिकतम भूकंपीय घटनाओं, एटेन्यूएशन, टेक्टॉनिक्स और लिथोलॉजी जैसे वैज्ञानिक आधारों पर तैयार किया गया है।

नए मैप में जयपुर, अलवर और भिवाड़ी को हाई रिस्क Zone-4 में शामिल किया गया है। इसका मतलब है कि यहां 5 से 6 रिक्टर स्केल तक के झटकों की संभावना है, जो सैकड़ों पुरानी इमारतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वर्ष 2016 तक जयपुर, अजमेर, जोधपुर और उदयपुर जोन-2 में थे, जबकि बीकानेर जोन-3 में था। नए आकलन में कई शहरों का जोन अपग्रेड किया गया है।

नए जोनिंग की प्रमुख बातें

अब तक भारत को चार जोन (II, III, IV, V) में बांटा गया था। नए मैप में पहली बार सबसे अधिक जोखिम वाला ज़ोन-VI जोड़ा गया है, जिसमें पूरा हिमालयी क्षेत्र शामिल किया गया है। पहले यह इलाका ज़ोन-IV और V में विभाजित था। इसके अलावा, दो जोनों की सीमा पर स्थित शहरों को स्वतः उच्च जोखिम वाले जोन में रखा जाएगा। अब जोनिंग प्रशासनिक सीमाओं की बजाय भू-वैज्ञानिक परिस्थितियों को प्राथमिकता देती है।

बढ़ती भूकंपीय संवेदनशीलता

नए आकलन के अनुसार, भारत का 61% भू-भाग अब मध्यम से उच्च भूकंपीय खतरे वाले क्षेत्रों में है (पहले 59%)। वहीं, देश की लगभग 75% आबादी अब भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में निवास कर रही है, जो चिंता का विषय है।

विकास और सुरक्षा पर असर

नए नक्शे से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में इमारतों के रेट्रोफिटिंग, सॉफ्ट सेडिमेंट्स या सक्रिय फॉल्ट के पास निर्माण पर रोक, और विशेषकर हिमालयी राज्यों में एकसमान व सख्त भवन मानकों के पालन को बढ़ावा मिलेगा। शहरी नियोजन और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में भूकंपीय सुरक्षा को केंद्र में रखा जाएगा।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) आपदा प्रबंधन नीतियाँ तय करेगा, जबकि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) राज्य-स्तरीय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होंगे। साथ ही, राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान नेटवर्क भूकंपीय गतिविधियों की निगरानी और भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणालियों के विकास पर शोध को आगे बढ़ा रहा है।

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