



जयपुर। राजस्थान सरकार ने जल क्षेत्र में दो वर्षों के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। बुधवार को जल भवन में आयोजित संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैया लाल चौधरी और जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने राज्य में चलाई जा रही जल योजनाओं, सिंचाई परियोजनाओं और जल जीवन मिशन की प्रगति का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। दोनों मंत्रियों ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सरकार दूरगामी सोच और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जल संरचना को मजबूत कर रही है।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री चौधरी ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत पिछली सरकार ने 5 वर्षों में औसतन 1000 गांव प्रतिवर्ष के हिसाब से 5027 गांवों में 39.28 लाख कनेक्शन दिए थे और 19,500 करोड़ रुपए खर्च किए थे। वहीं, वर्तमान सरकार ने मात्र 2 वर्षों में ही प्रतिवर्ष 4000 गांव के औसत से 7,900 से अधिक गांवों में 13.78 लाख कनेक्शन प्रदान किए और इस पर 10,612 करोड़ रुपए व्यय किए गए। उनका कहना था कि शेष कनेक्शनों को देने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है और अगले दो वर्षों में मिशन पूरा कर लिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि अमृत 2.0 के तहत 175 नगरीय निकायों की 54 निविदाएं आमंत्रित की गई हैं, जिनमें से 32 निविदाओं में 1174 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी किए जा चुके हैं। 73 निकायों के लिए 2521 करोड़ रुपए की 22 निविदाएं भी जारी की जा चुकी हैं।
चौधरी ने कहा कि जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार पर शून्य सहनशीलता अपनाई गई है। जनवरी 2024 से दिसंबर 2025 तक सीसीए नियमों के तहत कुल 188 मामलों में कार्रवाई की गई है और श्याम–गणपति ट्यूबवेल प्रकरण में 139 कार्मिकों पर कार्रवाई लंबित है। 37 अधिकारियों को निलंबित किया गया है और 17-A के तहत 18 अधिकारियों पर भी कार्रवाई की अनुमति दी गई है।
उन्होंने बताया कि 3720 नए नलकूप निर्माण और 6317 नए हैंडपंप लगाने से ग्रामीण–शहरी क्षेत्रों में पेयजल उपलब्धता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। वहीं, विशेष अभियान चलाकर 4.35 लाख खराब हैंडपंपों की मरम्मत कर उन्हें पुनः क्रियाशील बनाया गया है। अवैध कनेक्शनों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 1.08 लाख कनेक्शन काटे गए और जल्द ही इन पर कड़े दंडात्मक प्रावधान लागू किए जाएंगे।
जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कहा कि वर्षों से अटकी ईआरसीपी परियोजना को सरकार ने नए स्वरूप—पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना—के रूप में धरातल पर उतारकर ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के प्रथम चरण में 9,400 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी किए जा चुके हैं, जबकि राम जल सेतु लिंक परियोजना में 14,676 करोड़ रुपए के कार्यादेश के साथ सर्वेक्षण कार्य शुरू हो चुका है। इन परियोजनाओं से पूर्वी राजस्थान के 17 जिलों की लगभग 3 करोड़ आबादी को पेयजल मिलेगा और 4 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना नदी जोड़ो परियोजना के तहत राष्ट्रीय महत्व की परियोजना के रूप में केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत की गई है और समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी। नवनेरा बैराज और ईसरदा बांध के निर्माण कार्य पूरे हो चुके हैं।
रावत ने आगे बताया कि शेखावाटी क्षेत्र में यमुना जल लाने के लिए हरियाणा सरकार से एमओयू किया गया है और डीपीआर निर्माण अंतिम चरण में है, जिसे जनवरी 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा। इंदिरा गांधी नहर परियोजना सहित अन्य सिंचाई परियोजनाओं पर 10,418 करोड़ रुपए व्यय कर 84,592 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई है। धौलपुर लिफ्ट सिंचाई एवं पेयजल परियोजना, परवन बहुउद्देशीय परियोजना, पीपलखूंट हाई लेवल कैनाल, अपर हाई लेवल माही, कालीतीर लिफ्ट, ल्हासी और गागरिन सिंचाई परियोजनाओं में भी तेजी से कार्य प्रगति पर है।
मंत्रियों ने कहा कि मुख्यमंत्री सिंचाई टास्क फोर्स के गठन से कार्यों में निगरानी और समन्वय मजबूत हुआ है। सरकार ने जनता से किए वादों को समयबद्ध पूरा करने की प्रतिबद्धता को दोहराया।