



राजस्थान में अनुसूचित जाति की सबसे प्रभावशाली संस्था डॉ. अंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसायटी के चुनावों की घोषणा के साथ ही विवाद भी तेज हो गया है। सोमवार को सोसायटी का चुनाव कार्यक्रम आधिकारिक रूप से जारी किया गया, लेकिन पहले ही दिन मतदाता सूची को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। आरोप है कि अजमेर जिले में 11 हजार नए सदस्य जोड़े गए थे, लेकिन उनका सदस्यता शुल्क जमा नहीं हुआ। सोसायटी का एक बड़ा धड़ा चाहता है कि इन 11 हजार सदस्यों को मतदान का अधिकार न दिया जाए, जिससे चुनावी खींचतान और तीखी हो गई है।
यह चुनाव इसलिए भी विशेष महत्व के हैं क्योंकि चुनाव अधिकारी के रूप में रिटायर्ड IAS जे.पी. विमल को नियुक्त किया गया है, वहीं अध्यक्ष पद के लिए पूर्व डीजीपी रवि प्रकाश मेहरड़ा मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। मेहरड़ा द्वारा ही जे.पी. विमल को चुनाव अधिकारी का पद छोड़ने का पत्र लिखे जाने के बाद दोनों गुटों के बीच तनाव और बढ़ गया है।
सोसायटी के पास कुल 74,177 मतदाता हैं, जिनमें कई IAS, IPS, RAS और RPS अधिकारी भी शामिल हैं। संस्था के पास जयपुर के झालाना डूंगरी क्षेत्र में 22,500 वर्ग मीटर भूमि, इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कई भवन और संपत्तियां हैं। अनुमान है कि सोसायटी के पास करीब 450 करोड़ रुपए से अधिक की परिसंपत्तियां हैं, जिनके संरक्षण और नियंत्रण को लेकर चुनावों में हर बार दिग्गज नेताओं और अधिकारियों की दिलचस्पी बनी रहती है। इसी कारण इस बार भी चुनाव अत्यधिक संवेदनशील और प्रतिष्ठा का विषय बन गए हैं।
चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, मंगलवार से आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं, जिन्हें दाखिल करने की अवधि 18 से 29 नवंबर तक रहेगी। इसके बाद 30 नवंबर से 10 दिसंबर तक आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा और 11 दिसंबर को अंतिम मतदाता सूची जारी की जाएगी। नामांकन पत्रों का वितरण और जमा कराने की प्रक्रिया 11 से 18 दिसंबर तक चलेगी। नामांकन दाखिल करने की तिथियां 16 से 18 दिसंबर और नाम वापसी 20 से 22 दिसंबर तय की गई हैं। इसके बाद प्रतीक चिन्हों का आवंटन किया जाएगा। मतदान 4 जनवरी 2026 को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक होंगे और मतगणना के बाद परिणाम 6 जनवरी को घोषित किए जाएंगे।
अजमेर के 11 हजार नए सदस्यों के विवाद ने चुनावी वातावरण को और गर्म कर दिया है, और अब पूरा समाज इस प्रतिष्ठित चुनाव पर नजर बनाए हुए है।