



विश्व बाल दिवस के अवसर पर आमेर किले की ऐतिहासिक प्राचीर रविवार को बच्चों की कल्पनाओं, रंगों और उनकी आवाज़ों से जीवंत हो उठीं। “The Wall of Hope – Listen to the Future | My Day, My Right” शीर्षक से आयोजित इस विशेष कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य मंत्री डॉ. मंजू बाघमार ने किया। बच्चों ने पेंटिंग, स्लोगन, रैंप वॉक, क्विज़ और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बाल अधिकारों से जुड़े अपने विचार प्रभावशाली तरीके से मंच पर रखे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. बाघमार ने कहा कि बाल अधिकारों का संरक्षण और बच्चों का सुरक्षित भविष्य राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा—“बाल दिवस का सार तभी पूरा होता है, जब बच्चे खुलकर अपनी बात कह सकें और समाज ध्यान से उनकी बात सुन सके। आपके चित्र, संदेश और प्रस्तुतियाँ राजस्थान के भविष्य की दिशा दिखाती हैं।” उन्होंने बच्चों के उत्साह और रचनात्मकता की सराहना की।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में फ्यूचर सोसायटी के पैट्रन हेमंत भार्गव, रजनी भार्गव और यूनिसेफ राजस्थान के OIC एवं चीफ़ ऑफ़ फ़ील्ड ऑफिस रुशभ हेमानी उपस्थित रहे। अतिथियों ने कहा कि बच्चों की भागीदारी किसी भी समाज की वास्तविक ताकत को दर्शाती है और ऐसे आयोजन बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता को व्यापक बनाते हैं।
आमेर किले के अधीक्षक डॉ. राकेश छोलक ने कहा कि आमेर जैसे विश्व-प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक में ऐसे कार्यक्रम आयोजित होने से बाल अधिकार का संदेश देश-विदेश के पर्यटकों तक प्रभावी ढंग से पहुँचता है। डिजिटल बाल मेला की संस्थापक जान्हवी शर्मा ने स्वागत भाषण में कहा कि यह मंच बच्चों को न केवल अपने अधिकारों को समझने का अवसर देता है बल्कि उन्हें आत्मविश्वास के साथ समाज तक पहुँचाने की क्षमता भी प्रदान करता है।
दिनभर चले इस आयोजन में “Hope Wall” पर लगी बच्चों की पेंटिंग्स, स्लोगन और संदेश उनकी उम्मीदों, चिंताओं और सपनों को दर्शाते नजर आए। कई बच्चों ने बताया कि यह पहली बार है जब उन्हें अपनी बात इतनी स्वतंत्रता और सम्मान के साथ रखने का अवसर मिला।
यह कार्यक्रम यूनिसेफ, फ्यूचर सोसायटी, डिजिटल बाल मेला और पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य राज्य में बाल अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाना और बच्चों की आवाज़ को सशक्त बनाना है।