राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) की विभिन्न इकाइयों को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया को तेज़ करने का जो आदेश हाल ही में जारी किया गया है, वह राज्य की सार्वजनिक संपत्तियों को निजीकरण की दिशा में धकेलने वाला चिंताजनक कदम है। यह निर्णय न केवल प्रदेश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को प्रभावित कर सकता है, बल्कि राजस्थान की पर्यटन छवि को भी कमजोर कर सकता है।
राजस्थान पर्यटन विकास निगम की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी कि राज्य में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को गुणवत्तापूर्ण आवास, भोजन, परिवहन और पर्यटन सुविधाएं सरकारी नियंत्रण में मिल सकें। इस निगम ने दशकों तक राजस्थान को विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
राज्य सरकार द्वारा पहले यह कहा गया था कि RTDC की इकाइयों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत आधुनिक बनाया जाएगा, लेकिन अब उन्हें पूरी तरह से निजी कंपनियों को सौंपने का जो प्रयास हो रहा है, वह इस मूल नीति के विपरीत है। इससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि सरकार कहीं राजस्व अर्जन या राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से राज्य की संपत्तियों का ह्रास तो नहीं कर रही?
सरकारी नियंत्रण में RTDC की इकाइयों का संचालन पारदर्शिता, जवाबदेही और जनहित की भावना के साथ होता आया है। इसके विपरीत, निजी हाथों में संचालन से सेवा गुणवत्ता में गिरावट, दरों में वृद्धि और आमजन की पहुंच में कठिनाई जैसे खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।
राजस्थान पर्यटन विकास निगम की संपत्तियां केवल इमारतें नहीं, बल्कि राज्य की ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा हैं। इनका संरक्षण, संचालन और संवर्धन करना सरकार की नैतिक व संवैधानिक जिम्मेदारी है।
पूर्व अध्यक्ष के रूप में यह मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं इस निर्णय का विरोध करूं और सरकार से अपील करूं कि इन संस्थाओं का संचालन पूर्व की भांति राज्य सरकार के माध्यम से ही जारी रखा जाए। साथ ही, नवाचार व सुधार के जरिये इनकी सेवाओं को और अधिक प्रभावी और आत्मनिर्भर बनाया जाए, जिससे राजस्थान की पर्यटन छवि को वैश्विक मंच पर और सशक्त किया जा सके।