जोधपुर स्थित गुलाब सागर में एक युवक का शव मिलने के मामले में पुलिस और मेडिकल विभाग की घोर लापरवाही सामने आई है। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद सदर बाजार थाना पुलिस ने शव को "लावारिस" मानकर न केवल उसका अंतिम संस्कार करा दिया, बल्कि मुस्लिम युवक होने के बावजूद उसे सुपुर्द-ए-खाक की बजाय हिन्दू रीति से दाह संस्कार कर दिया गया। यह लापरवाही तब उजागर हुई जब डीएनए जांच के आधार पर युवक की पहचान चिमनपुरा गली-4 निवासी मल्का के पुत्र इस्माइल (20) के रूप में हुई।
मृतक की मां मल्का का रो-रो कर बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि उनका बेटा 17 जून को घर से निकला था और लौटकर नहीं आया। इसके बाद 20 जून को सदर बाजार थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। लेकिन मात्र एक दिन बाद, 21 जून को गुलाब सागर से एक अज्ञात युवक का शव बरामद हुआ था, जिसे महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया। इसके बावजूद पुलिस ने परिवार को सूचना नहीं दी और 25 जून को शव का दाह संस्कार करवा दिया।
डीएनए परीक्षण के बाद जब मृतक की पहचान इस्माइल के रूप में हुई, तब परिवार को दाह संस्कार की जानकारी मिली। इससे न सिर्फ उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं, बल्कि प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल भी खड़े हो गए हैं। परिजनों का आरोप है कि अगर गुमशुदगी रिपोर्ट को गंभीरता से लिया गया होता तो यह लापरवाही टाली जा सकती थी।