जयपुर। राजस्थान के जल संकटग्रस्त शेखावाटी अंचल—जिसमें चूरू, सीकर, और झुंझुनूं जिले शामिल हैं—के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यमुना बेसिन में निर्मित हो रहे दो प्रमुख बांध—रेणुकाजी (हिमाचल प्रदेश) और लखवार (उत्तराखंड)—के निर्माण के लिए राज्य की हिस्सेदारी से 95 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। यह कदम यमुना जल समझौते के अंतर्गत राजस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और क्षेत्र में पेयजल व सिंचाई की स्थायी सुविधा सुनिश्चित करेगा।
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि जल संसाधनों की महत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्य सरकार मिशन मोड में कार्य कर रही है। उनका यह निर्णय न केवल जल संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर है, बल्कि यह शेखावाटी क्षेत्र में जल संकट का स्थायी समाधान लाने में भी सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जल परियोजनाओं में राजस्थान की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
वर्तमान में रेणुकाजी और लखवार बांधों का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। इन परियोजनाओं की कुल लागत 11,320.46 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें राजस्थान की 215.66 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है। मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत 95 करोड़ रुपये की राशि राज्य की भागीदारी को और मजबूती देती है।
जलापूर्ति को लेकर हथिनीकुंड बैराज से जुड़े विषयों पर राजस्थान व हरियाणा के बीच संवाद स्थापित करने हेतु गठित टास्क फोर्स की तीसरी बैठक 30 जून 2025 को पंचकूला में आयोजित हुई थी। इसमें दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच जल वितरण, संरचनात्मक योजनाएं और समयबद्ध क्रियान्वयन जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई थी।
मुख्यमंत्री शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में सरकार बनने के तुरंत बाद ही शेखावाटी क्षेत्र में यमुना जल लाने के लिए हरियाणा सरकार के साथ एमओयू भी किया था, जो इस दिशा में एक निर्णायक पहल साबित हुआ। यह निर्णय न केवल राजस्थान की जल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आने वाले वर्षों में खेती, पशुपालन और पेयजल आपूर्ति के लिए स्थायी आधार तैयार करेगा।
राज्य सरकार ने जल संरक्षण और वितरण में पारदर्शिता और कार्यकुशलता सुनिश्चित करने हेतु सतत मॉनिटरिंग की व्यवस्था लागू की है। मुख्यमंत्री के अनुसार, यमुना जल परियोजना अब केवल एक योजना नहीं, बल्कि राजस्थान की जल आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक कदम है।