



जयपुर। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने मंगलवार को सचिवालय में समीक्षा बैठक कर 100 करोड़ से अधिक लागत की 23 विभागीय परियोजनाओं एवं राम जल सेतु लिंक परियोजना से जुड़े 7 कार्यों की प्रगति पर विस्तृत चर्चा की।
मुख्य सचिव ने कहा कि राम जल सेतु परियोजना राज्य सरकार की फ्लैगशिप स्कीम है, जिसके माध्यम से प्रदेश के 17 जिले सीधे लाभान्वित होंगे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि परियोजनाओं की मजबूत मॉनिटरिंग के लिए आधुनिक सॉफ्टवेयर टूल्स का उपयोग कर पीईआरटी-सीपीएम (PERT-CPM) के आधार पर कार्ययोजना तैयार की जाए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन कार्यों को समानांतर रूप से संचालित किया जा सकता है, उन्हें एक साथ आगे बढ़ाया जाए ताकि समय और संसाधनों की बचत हो सके। साथ ही, उन्होंने निर्माण एवं निविदा प्रक्रिया से लेकर कार्यों के निष्पादन की समयसीमा को और अधिक तर्कसंगत एवं व्यवहारिक बनाने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि गुणवत्ता और टाइम-बाउंड कम्प्लीशन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन अभय कुमार द्वारा वन भूमि प्रत्यावर्तन, भूमि अवाप्ति, विद्युत कनेक्शन, हाई-वे क्रॉसिंग व अन्य स्वीकृतियों के कारण कार्य के संपादन में होने वाले विलम्ब के दृष्टिगत अर्न्तविभागीयमुद्दों के निराकरण पर बल दिया गया। इस क्रम में मुख्य सचिव महोदय द्वारा ऐसी परियोजनाओं व मुद्दों को चिन्हित कर सचिव स्तर की बैठक में समाधान किये जाने का सुझाव दिया तथा उल्लेख किया कि आवश्यकता होने पर उनके स्वयं की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की जाए।
बैठक में मुख्य अभियन्ता एवं अतिरिक्त सचिव भुवन भास्कर, प्रबंध निदेशक ईआरसीपी रवि सोलंकी सहित संभाग स्तरीय मुख्य अभियन्ता एवं अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता उपस्थित रहे।