Saturday, 25 October 2025

चंबल के लबालब बांधों के बीच जल बंटवारे पर बढ़ा विवाद: कोटा में 28 अक्टूबर को होगी राजस्थान -मध्यप्रदेश की बैठक


चंबल के लबालब बांधों के बीच जल बंटवारे पर बढ़ा विवाद: कोटा में 28 अक्टूबर को होगी राजस्थान -मध्यप्रदेश की बैठक

कोटा। राजस्थान और मध्यप्रदेश में इस बार अच्छी बारिश होने से चंबल के सभी बांध लबालब भर गए हैं, जिससे रबी सीजन में किसानों को पर्याप्त सिंचाई जल मिलने की उम्मीद है। जल बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच तनाव की स्थिति बन गई है। मध्यप्रदेश ने राजस्थान के जल संसाधन विभाग को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि पिछले रबी सीजन में जल समझौते के अनुरूप पानी उपलब्ध नहीं कराया गया। इसके साथ ही मप्र ने राजस्थान से पानी का विस्तृत हिसाब-किताब मांगा है।

वहीं राजस्थान ने पलटवार करते हुए कहा है कि मध्यप्रदेश ने नहरों की मरम्मत और रखरखाव के लिए निर्धारित बजट नहीं दिया, जिसके कारण सिंचाई चैनल पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहे। राजस्थान का कहना है कि बजट की कमी के कारण कई क्रॉस रेगुलेटरों का पुनर्निर्माण अटका हुआ है।

28 अक्टूबर को तकनीकी समिति की बैठक: मध्यप्रदेश-राजस्थान अंतरराज्यीय (सिंचाई एवं परियोजना) नियंत्रण बोर्ड की 30 वीं तकनीकी समिति की बैठक 28 अक्टूबर को गूगल मीट के माध्यम से आयोजित होगी। बैठक की अध्यक्षता मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता करेंगे। दोनों राज्यों ने एजेंडा तय कर लिया है और 7 बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

जल भंडारण की स्थिति: गांधीसागर और राणाप्रताप सागर बांधों में 8 अक्टूबर 2025 तक कुल 6.5157 मिलियन एकड़ फीट (8037.03 एमसीयूएम) पानी उपलब्ध है। यह रबी सीजन 2025-26 की जरूरतों के लिए पर्याप्त माना जा रहा है।

मध्यप्रदेश का पक्ष:मध्यप्रदेश का कहना है कि 4 नवंबर 2011 की 77वीं स्थायी समिति की बैठक में तय जल बंटवारे के अनुसार दोनों राज्यों को समान रूप से सिंचाई जल मिलना चाहिए। मप्र का हिस्सा पार्वती एक्वाडक्ट पर 3900 क्यूसेक (8.40 गेज) तय है, जबकि राजस्थान ने पिछले वर्ष औसतन 2680 क्यूसेक ही दिया। मप्र ने कहा कि यह कमी जल हानि नहीं बल्कि नहर प्रबंधन में लापरवाही का परिणाम है। इसलिए उसने मांग की है कि सीआरएमसी मेन नहर के राजस्थान हिस्से में एक स्वतंत्र डिवीजन बनाया जाए ताकि जल आपूर्ति सुचारू हो सके।

राजस्थान का जवाब: राजस्थान ने अपने जवाब में कहा कि मप्र की ओर से बजट नहीं मिलने के कारण उमेदगंज (16 किमी) और कल्याणपुरा (43.9 किमी) क्रॉस रेगुलेटरों का पुनर्निर्माण लंबित है। इससे जल प्रवाह क्षमता प्रभावित हुई है। राजस्थान का तर्क है कि दाईं मुख्य नहर पर पिछले साल जल प्रवाह बढ़ाने पर दो स्थानों पर डैमेज हो गया था। नहरों की मरम्मत के लिए दोनों राज्यों के एसई (मोरेना और कोटा) के संयुक्त निरीक्षण की व्यवस्था पहले से तय है, जिसमें लागत का 75.4% मप्र और 24.6% राजस्थान वहन करते हैं।

आगामी कार्ययोजना: वर्ष 2026-27 की निर्माण योजना दिसंबर 2025 और फरवरी 2026 में होने वाले संयुक्त निरीक्षण के बाद तय की जाएगी। वर्ष 2025-26 के लिए आवश्यक मरम्मत कार्यों की सूची राजस्थान ने पहले ही प्रस्तुत कर दी है।

किसानों के लिए राहत की उम्मीद: विवाद के बावजूद दोनों राज्यों में चंबल कॉम्प्लेक्स में पर्याप्त जल होने से रबी सीजन में सिंचाई के लिए पानी की कमी नहीं होगी। अधिकारियों का कहना है कि आगामी बैठक में सभी मुद्दों पर सहमति बनने की संभावना है।

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