Friday, 05 September 2025

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ का कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा पर निशाना: “एक अच्छा व्यक्ति बिगड़ गया”


भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ का कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा पर निशाना: “एक अच्छा व्यक्ति बिगड़ गया”

जयपुर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की हालिया बयानबाजी और सदन में उनके व्यवहार पर कड़ा प्रहार किया है। राठौड़ ने कहा कि डोटासरा कभी एक उभरते हुए और प्रतिभाशाली नेता माने जाते थे, लेकिन विपक्ष में रहते-रहते उनकी भूमिका कमजोर होती चली गई है। उन्होंने कहा कि, “एक अच्छा व्यक्ति बिगड़ गया है। डोटासरा आज जिस भाषा और व्यवहार का उपयोग कर रहे हैं, वह लोकतांत्रिक परम्पराओं के खिलाफ है।”

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि वे स्वयं विधानसभा में डोटासरा के साथ रहे हैं और पहले उन्हें एक परिपक्व व जिम्मेदार नेता मानते थे। लेकिन आज वे हल्के शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं और आसन के प्रति गलत व्यवहार अपना रहे हैं। राठौड़ ने आरोप लगाया कि डोटासरा बार-बार सदन में व्यवधान डालते हैं और उन्हें कैलाश मेघवाल के समय भी निष्कासित किया जा चुका है। “सदन में नहीं आना और फिर विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की बात करना जनतंत्र को कमजोर करने वाली प्रवृत्तियाँ हैं।”

पार्टी के भीतर भी मतभेद

मदन राठौड़ ने आगे कहा कि डोटासरा अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र पारीक के खिलाफ जिस तरह सार्वजनिक बयानबाजी कर रहे हैं, वह निंदनीय है। पारीक संसदीय परम्पराओं को भलीभांति समझते हैं और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, ऐसे में उनका सार्वजनिक अपमान अनुचित है। राठौड़ ने कहा कि आंतरिक मुद्दों को सार्वजनिक मंचों पर लाना पार्टी में टूट की स्थिति पैदा कर सकता है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने ही उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को “नाकारा” और “निक्कमा” कहा था, उसके बाद दोनों नेताओं के बीच खाई कभी पाटी नहीं जा सकी। उसी तरह डोटासरा के पारीक को लेकर दिए गए बयान उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाने वाले हैं और कांग्रेस में दरार को गहरा कर सकते हैं।

ममता बनर्जी पर भी निशाना

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हालिया बयान पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग बेहद आपत्तिजनक और असंसदीय है। राठौड़ ने कहा कि, “विरोध करना लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन भाषा का चयन मर्यादित और आदर्श होना चाहिए। राजनीति में भाषा का स्तर जिस तरह गिरा है, वह चिंताजनक है और इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए।”

उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से आत्मचिंतन करने की अपील की कि लोकतंत्र की गरिमा तभी बनी रह सकती है जब भाषा और व्यवहार मर्यादित रहें।

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