जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट में बुधवार, 3 सितंबर 2025 को छात्रसंघ चुनाव कराने को लेकर दायर याचिकाओं पर अहम सुनवाई प्रस्तावित है। इस मामले में जय राव और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिका पर राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने जवाब में कहा कि छात्रसंघ चुनाव न कराने से याचिकाकर्ताओं के किसी मौलिक अधिकार का हनन नहीं होता। उनका तर्क है कि चुनाव लड़ना या मतदान करना संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार नहीं, बल्कि केवल वैधानिक अधिकार है।प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जैसे विधायक और सांसद के चुनाव मौलिक अधिकार नहीं हैं, वैसे ही छात्रसंघ चुनाव भी वैधानिक अधिकार की श्रेणी में आते हैं। विश्वविद्यालय ने यह भी कहा कि शैक्षणिक कैलेंडर को ध्यान में रखते हुए चुनाव संभव नहीं है, क्योंकि सेमेस्टर प्रणाली के तहत छात्रों को 90 दिन के दो सेमेस्टर पूरे करने अनिवार्य हैं।
राजस्थान विश्वविद्यालय ने अपने जवाब में उल्लेख किया कि राज्य सरकार ने सत्र 2023-24 में भी छात्रसंघ चुनाव न कराने का निर्णय लिया था। इस फैसले को हितेश यादव और विकास नामक छात्रों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उस मामले में अदालत ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में कोई आदेश पारित नहीं किया।विश्वविद्यालय ने कहा कि वह केस अभी भी लंबित है और इसी आधार पर वर्तमान याचिका को भी खारिज किया जाना चाहिए।
इस मामले की पिछली सुनवाई 29 अगस्त 2025 को होनी थी, लेकिन जस्टिस समीर जैन की अनुपस्थिति के कारण स्थगित हो गई थी। इसके बाद जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने सुनवाई की नई तारीख 3 सितंबर तय की। अब अदालत में यह स्पष्ट होगा कि विश्वविद्यालय को छात्रसंघ चुनाव कराने होंगे या नहीं।