जयपुर। राजस्थान सरकार ने किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उर्वरकों की पर्याप्त और पारदर्शी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार किसानों के हितों को लेकर पूरी तरह संवेदनशील है और खेती-किसानी में किसी प्रकार की बाधा नहीं आने दी जाएगी।
राज्य सरकार और कृषि विभाग यूरिया और डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की उपलब्धता पर विशेष नजर रखे हुए हैं। कम उपलब्धता और अधिक खपत वाले जिलों और ब्लॉकों को चिन्हित कर पारदर्शी तरीके से प्राथमिकता के आधार पर उर्वरकों का वितरण किया जा रहा है। कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं।
खरीफ 2025 के लिए केंद्र सरकार द्वारा राजस्थान को 8.82 लाख मैट्रिक टन यूरिया आवंटित किया गया था। इनमें से अब तक 8.23 लाख मैट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति हो चुकी है। शेष 59 हजार मैट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति अगस्त माह की शेष अवधि में पूरी की जाएगी।
केंद्र सरकार से अप्रैल से अगस्त तक 4.75 लाख मैट्रिक टन डीएपी का आवंटन हुआ था, जिनमें से 3.59 लाख मैट्रिक टन की आपूर्ति पहले ही पूरी की जा चुकी है। शेष 27 हजार मैट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति प्रस्तावित है।
प्रदेश में इस समय किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरकों का भंडार मौजूद है:
यूरिया: 1.86 लाख मैट्रिक टन
डीएपी: 1.20 लाख मैट्रिक टन
एनपीके: 0.81 लाख मैट्रिक टन
एसएसपी: 1.93 लाख मैट्रिक टन
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार फॉस्फेटिक उर्वरकों का स्टॉक 1 लाख मैट्रिक टन अधिक है। इसके अलावा 8 हजार मैट्रिक टन यूरिया और 10,900 मैट्रिक टन डीएपी रेलमार्ग से परिवहन में हैं।
राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि उर्वरकों का वितरण पारदर्शी और समान रूप से हो।उर्वरक वितरण में अनियमितता, कालाबाजारी या जमाखोरी करने वाले विक्रेताओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में अंकित सिफारिशों के अनुसार उर्वरकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सरसों की अग्रिम बुवाई वाले जिलों में किसान पहले ही डीएपी खरीदकर भंडारण कर रहे हैं।