जयपुर। राजस्थान को जल संकट से उबारने की दिशा में एक बड़ी और ऐतिहासिक पहल सामने आई है। राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ द्वारा संसद में पूछे गए प्रश्न के जवाब में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यमुना जल पाइपलाइन परियोजना को पुनर्जीवित करने की दिशा में ठोस प्रगति हो चुकी है। यह परियोजना विशेष रूप से चूरू, सीकर और झुंझुनूं जैसे जलसंकटग्रस्त जिलों के लिए वरदान साबित होने जा रही है।
जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने राज्यसभा में जानकारी दी कि राजस्थान और हरियाणा सरकारों के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। इसके अनुसार हथिनीकुंड बैराज से भूमिगत पाइपलाइन के ज़रिए यमुना का जल राजस्थान के सूखाग्रस्त जिलों तक पहुँचाया जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार जुलाई से अक्टूबर के बीच कुल 577 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) जल इन क्षेत्रों तक पहुँचेगा।
परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने हेतु राजस्थान में परामर्शदाता की नियुक्ति की जा चुकी है और संयुक्त कार्यबल (Joint Task Force) भी गठित कर दिया गया है ताकि परियोजना का कार्यान्वयन समयबद्ध और उच्च गुणवत्ता के साथ सुनिश्चित हो सके।
सांसद मदन राठौड़ ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और डबल इंजन सरकार की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा —“यह परियोजना न सिर्फ राजस्थान के जल संकट का समाधान प्रस्तुत करती है, बल्कि यह सामाजिक-आर्थिक विकास के नए द्वार खोलने जा रही है। यह केवल एक पाइपलाइन परियोजना नहीं है, बल्कि राजस्थान को जल आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ऐतिहासिक मील का पत्थर है।”
राठौड़ ने इस प्रयास को 1994 के यमुना जल समझौते के तहत राजस्थान के जल हक को सुनिश्चित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल वर्षों की जल-असमानता को दूर कर लाखों लोगों को शुद्ध पेयजल, सिंचाई जल और जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी। इसके सकारात्मक प्रभाव ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर देखने को मिलेंगे।