जयपुर। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने शुक्रवार को जयपुर में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए भारत की एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक विजय की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को संयुक्त राज्य अमेरिका ने आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित कर दिया है। TRF को कई बड़े आतंकी संगठनों का प्रॉक्सी संगठन माना जाता है और यह वैश्विक आतंक नेटवर्क का सक्रिय अंग रहा है।
डॉ. त्रिवेदी ने इस निर्णय को भारत की निरंतर और प्रभावशाली कूटनीति का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि पहले क्वाड समिट में भी आतंकवाद और पहलगाम हमले का विस्तृत रूप से उल्लेख हुआ था। उन्होंने कहा कि भारत ने वैश्विक मंचों पर लगातार आतंक के विरुद्ध सख्त रुख अपनाया है — 26/11 हमले के आरोपी तहावुर राणा का प्रत्यर्पण प्रयास, हाफिज सईद और मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराना, और अब TRF पर प्रतिबंध, यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की रणनीतिक कूटनीति के प्रमाण हैं।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि जैसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत ने सैन्य पराक्रम दिखाया, वैसे ही आज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत अपनी कूटनीतिक दक्षता भी स्पष्ट रूप से दर्शा रहा है। विपक्ष की आलोचना करते हुए उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “जिन्हें भारत की विदेश नीति ‘सर्कस’ लगती थी, उन्हें अपने ‘सर्किट’ की जांच करवा लेनी चाहिए।”
उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों पर बोलते हुए कहा कि S-400 मिसाइल प्रणाली रूस से प्राप्त करने के बावजूद अमेरिका ने भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। इसके विपरीत, भारत को प्रिडेटर ड्रोन की डील मिली, जो NATO के बाहर किसी भी देश को नहीं दी जाती, यह भारत की वैश्विक साख का प्रमाण है।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि आज की यह कूटनीतिक सफलता हर भारतवासी के लिए गर्व का विषय है और सैन्य बलों के लिए संतोष का कारण, लेकिन यह निश्चित ही गैर-जिम्मेदार विपक्षियों के लिए चिंता का विषय बन गई है। उन्होंने कहा कि BRICS सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ पारित प्रस्ताव प्रधानमंत्री मोदी की राजनयिक दूरदर्शिता का परिचायक है और भारत का रुख स्पष्ट है — "आतंकवाद के साथ कोई शांति वार्ता नहीं होगी।"
अंत में, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और भारत सरकार को इस अभूतपूर्व कूटनीतिक सफलता के लिए बधाई दी और इसे भारत के इतिहास में एक स्वर्णिम उपलब्धि करार दिया।