राजस्थान की करीब 1638 अधीनस्थ अदालतों में सोमवार से न्यायिक कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है। इसका कारण है राज्य के न्यायिक कर्मचारियों द्वारा कैडर पुनर्गठन की लंबित मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर जाना। लगभग 20,000 न्यायिक कर्मचारी, जो राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के बैनर तले संगठित हैं, पिछले पांच दिनों से जयपुर सत्र न्यायालय परिसर में धरना प्रदर्शन कर रहे थे। संघ के प्रदेशाध्यक्ष भूख हड़ताल पर बैठे हैं और कर्मचारियों में सरकार की अनदेखी को लेकर रोष व्याप्त है।
संघ ने साफ कहा है कि सरकार द्वारा अब तक कोई ठोस वार्ता या समाधान प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे नाराज होकर अब पूरे प्रदेश के न्यायिक कर्मचारी अनिश्चितकालीन अवकाश पर चले गए हैं। इसका सीधा असर न्यायालयों में लंबित मामलों की सुनवाई, आदेशों की निष्पादन प्रक्रिया और अन्य न्यायिक कार्यों पर पड़ेगा। इस हड़ताल से न्यायिक प्रक्रिया पूरी तरह ठहर गई है।
राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई अधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन न्यायिक प्रणाली के प्रभावित होने से आमजन और अधिवक्ताओं को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। न्यायिक कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी है कि जब तक कैडर पुनर्गठन सहित अन्य मांगों पर स्पष्ट और संतोषजनक कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।