



अरावली पर्वतमाला को लेकर देशभर में चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला लेते हुए अपने ही पूर्व आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी और तब तक अरावली क्षेत्र में किसी भी तरह का खनन नहीं किया जाएगा। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए निर्देश दिए कि एक नई एक्सपर्ट कमेटी गठित की जाए। यह समिति मौजूदा विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का विश्लेषण करेगी और उससे जुड़े सभी विवादित बिंदुओं पर स्वतंत्र व निष्पक्ष मूल्यांकन कर सुप्रीम कोर्ट को सुझाव देगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस स्वतः संज्ञान मामले में केंद्र सरकार के साथ-साथ अरावली क्षेत्र से जुड़े चार राज्यों—राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और हरियाणा—को नोटिस जारी कर उनकी प्रतिक्रिया भी मांगी है। अदालत ने आदेश में कहा कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें और उन पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से की गई टिप्पणियां फिलहाल ‘एबेयन्स’ (स्थगन) में रहेंगी और अगली सुनवाई तक इन्हें लागू नहीं किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि इस पूरे मामले में सरकार, अदालत और प्रक्रिया को लेकर कई तरह की गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं। इन्हीं भ्रमों को दूर करने के उद्देश्य से विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। इस पर मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने भी माना कि अदालत की टिप्पणियों और समिति की रिपोर्ट को लेकर गलत अर्थ निकाले जा रहे हैं, जिससे भ्रम की स्थिति बनी है। कोर्ट ने संकेत दिया कि जरूरत पड़ी तो इस पर विस्तृत स्पष्टीकरण भी जारी किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि किसी भी रिपोर्ट या सिफारिश को लागू करने से पहले निष्पक्ष और स्वतंत्र मूल्यांकन जरूरी है, ताकि अरावली जैसे संवेदनशील पर्यावरणीय मुद्दे पर स्पष्ट और संतुलित दिशा तय की जा सके।