Thursday, 25 December 2025

सर्वाइकल कैंसर रोकथाम के लिए स्कूलों में एचपीवी टीकाकरण अभियान, 5 हजार छात्राओं को वैक्सीन का लक्ष्य


सर्वाइकल कैंसर रोकथाम के लिए स्कूलों में एचपीवी टीकाकरण अभियान, 5 हजार छात्राओं को वैक्सीन का लक्ष्य

जयपुर। सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम को लेकर सीएमआरआई, कोलकाता और सीके बिरला हॉस्पिटल्स, जयपुर की ओर से राजस्थान और पश्चिम बंगाल के स्कूलों में एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई है। इस अभियान के पहले चरण में 5,000 किशोरियों और युवा लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन लगाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसका उद्देश्य कम उम्र में ही एचपीवी संक्रमण से सुरक्षा देकर भविष्य में सर्वाइकल कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम करना है।

प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सी. पी. दाधीच ने बताया कि इस अभियान के तहत दोनों अस्पतालों द्वारा पात्र लाभार्थियों के लिए निशुल्क एचपीवी टीकाकरण क्लिनिक शुरू किए गए हैं। इसके साथ ही स्कूलों और आसपास के क्षेत्रों में जागरूकता सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें एचपीवी संक्रमण, सर्वाइकल कैंसर के जोखिम, इसके शुरुआती लक्षण और समय पर रोकथाम के महत्व पर विस्तार से जानकारी दी जा रही है। इन सत्रों में छात्राओं के साथ-साथ अभिभावकों को भी शामिल किया जा रहा है, ताकि वैक्सीन को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर किया जा सके।

हर घंटे 9 महिलाओं की जा रही जान

डॉ. दाधीच ने बताया कि जागरूकता सत्रों के दौरान विशेषज्ञ एचपीवी वैक्सीन की सुरक्षा, प्रजनन क्षमता पर इसके प्रभाव और दीर्घकालिक प्रभावशीलता से जुड़े सवालों के जवाब दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में हर साल 1.27 लाख से अधिक महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से प्रभावित होती हैं और करीब 79 हजार महिलाओं की मौत इस बीमारी के कारण हो जाती है। इसका अर्थ है कि देश में हर घंटे औसतन 9 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर के चलते अपनी जान गंवा रही हैं। उन्होंने बताया कि भारत में 80 प्रतिशत से अधिक सर्वाइकल कैंसर के मामले एचपीवी टाइप 16 और 18 से जुड़े होते हैं, जिन्हें समय पर टीकाकरण के जरिए लगभग 90 प्रतिशत तक रोका जा सकता है।

टीकाकरण के साथ जागरूकता पर भी जोर

सीके बिरला हॉस्पिटल्स के वाइस प्रेसिडेंट अर्पित जैन ने कहा कि यह पहल केवल टीकाकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि समुदाय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने का एक संगठित प्रयास है। उन्होंने कहा कि सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारी, जिसे समय रहते रोका जा सकता है, उसके खिलाफ समाज को जागरूक करना उतना ही जरूरी है जितना टीकाकरण। इस अभियान के माध्यम से स्कूल स्तर पर सही जानकारी देकर आने वाली पीढ़ी को एक गंभीर बीमारी से सुरक्षित रखने की दिशा में ठोस कदम उठाया जा रहा है।

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