



केंद्र सरकार ने भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) को निर्देश दिए हैं कि वह पूरे अरावली क्षेत्र के लिए एक व्यापक और वैज्ञानिक माइनिंग प्लान तैयार करे। इस प्लान में पर्यावरणीय प्रभावों का विस्तृत आकलन, पारिस्थितिक वहन क्षमता (Ecological Carrying Capacity) का निर्धारण तथा पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील और संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों की स्पष्ट पहचान की जाएगी।
इसके साथ ही, खनन से प्रभावित क्षेत्रों के लिए बहाली (Restoration) और पुनर्वास (Rehabilitation) के ठोस उपाय भी इस प्लान का हिस्सा होंगे। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि तैयार होने के बाद इस माइनिंग प्लान को संबंधित स्टेकहोल्डर्स—राज्य सरकारों, विशेषज्ञों, पर्यावरण संगठनों और आम जनता—से परामर्श के लिए सार्वजनिक किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता और सहभागिता सुनिश्चित की जा सके।
केंद्र सरकार के इस फैसले को अरावली संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जिससे आने वाले समय में खनन पर नियंत्रण, पर्यावरण संरक्षण और क्षेत्रीय जल संकट से निपटने में महत्वपूर्ण मदद मिलने की उम्मीद है।