Tuesday, 23 December 2025

CBSE और राज्य शिक्षा विभाग की सख्ती के बाद अमायरा आत्महत्या मामले में नीरजा मोदी स्कूल का एक्शन, दो शिक्षिकाएं बर्खास्त


CBSE और राज्य शिक्षा विभाग की सख्ती के बाद अमायरा आत्महत्या मामले में नीरजा मोदी स्कूल का एक्शन, दो शिक्षिकाएं बर्खास्त

जयपुर। जयपुर के चर्चित अमायरा आत्महत्या मामले में करीब 50 दिन बाद नीरजा मोदी स्कूल प्रबंधन ने बड़ा कदम उठाया है। चौथी कक्षा की छात्रा अमायरा की आत्महत्या के मामले में स्कूल प्रशासन ने कक्षा अध्यापिका पुनीता शर्मा और गणित शिक्षिका रचना को सेवा से हटा दिया है। माना जा रहा है कि यह कार्रवाई केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और राज्य शिक्षा विभाग की सख्ती व दबाव के बाद की गई है।

दरअसल, 20 नवंबर को CBSE ने इस गंभीर मामले को लेकर नीरजा मोदी स्कूल को नोटिस जारी किया था और 30 दिन के भीतर जवाब मांगा था। स्कूल प्रबंधन ने समयसीमा के भीतर अपना स्पष्टीकरण CBSE को सौंप दिया है। वर्तमान में CBSE की एक समिति इस रिपोर्ट की समीक्षा कर रही है, जिसके बाद स्कूल के खिलाफ आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा। शिक्षा जगत में इस मामले को बाल सुरक्षा और स्कूलों की जवाबदेही से जोड़कर देखा जा रहा है।

शिक्षा मंत्री को सौंपी गई जांच रिपोर्ट

राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने भी अपनी स्वतंत्र जांच पूरी कर रिपोर्ट उच्च अधिकारियों और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को सौंप दी है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, राज्य शिक्षा विभाग के पास CBSE से मान्यता प्राप्त स्कूलों को केवल एनओसी जारी करने का अधिकार है, लेकिन जांच में सामने आई गंभीर खामियों के आधार पर विभाग ने स्कूल प्रबंधन से जवाब तलब किया है। माना जा रहा है कि CBSE और राज्य शिक्षा विभाग—दोनों स्तरों पर चल रही कार्रवाई के चलते ही स्कूल को यह कड़ा फैसला लेना पड़ा।

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि 1 नवंबर को जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में कक्षा 4 की छात्रा अमायरा ने स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इस हृदयविदारक घटना के बाद परिजनों ने स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि अमायरा लंबे समय से स्कूल में अन्य छात्रों द्वारा बुलिंग का शिकार हो रही थी, लेकिन शिक्षकों और स्कूल प्रशासन ने बार-बार शिकायतों के बावजूद इस पर ध्यान नहीं दिया।

बाद में CBSE की जांच रिपोर्ट में भी बुलिंग की पुष्टि हुई, जिससे स्कूल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए। इस मामले ने न सिर्फ जयपुर बल्कि पूरे राज्य में स्कूलों में बच्चों की मानसिक सुरक्षा, बुलिंग रोकथाम और शिक्षकों की जिम्मेदारी को लेकर नई बहस छेड़ दी है।

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