



जयपुर। राजस्थान में बजरी माफिया से पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत के आरोपों को लेकर पुलिस मुख्यालय ने अब तक की सबसे कड़ी कार्रवाई की है। जयपुर समेत चार जिलों के पांच थानों के थाना प्रभारी (SHO) को निलंबित किया गया है, जबकि पांच जिलों के छह थानों के SHO को लाइन हाजिर कर दिया गया है। यह कार्रवाई पुलिस मुख्यालय की सतर्कता शाखा द्वारा 18 और 19 दिसंबर को प्रदेशभर में चलाए गए डिकॉय ऑपरेशन के बाद की गई, जिसमें ड्यूटी में गंभीर लापरवाही और अवैध बजरी परिवहन को नजरअंदाज करने के मामले सामने आए।
पुलिस मुख्यालय की सतर्कता शाखा ने अवैध बजरी खनन, परिवहन और भंडारण के खिलाफ गुप्त रूप से डिकॉय ऑपरेशन चलाया था। इस अभियान में 11 विशेष टीमों को अलग-अलग जिलों में भेजा गया, जिन्होंने आम नागरिक बनकर थानों की कार्यप्रणाली, नाकाबंदी व्यवस्था और गश्त प्रणाली की जांच की। इस दौरान यह सामने आया कि कई थानों में न केवल अवैध बजरी परिवहन को नजरअंदाज किया जा रहा था, बल्कि ड्यूटी के प्रति भी भारी लापरवाही बरती जा रही थी।
इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए एस. सेंगाथिर ने बताया कि जांच में दोषी पाए जाने पर 21 दिसंबर को जयपुर (साउथ) के शिवदासपुरा थाना, टोंक के पीपलू और बरौनी थाना, अजमेर के पीसांगन थाना तथा धौलपुर के कोतवाली थाना के SHO को सस्पेंड किया गया है। वहीं, भीलवाड़ा के गुलाबपुरा थाना, कोटा के कुन्हाड़ी और नांता थाना, दौसा के लालसोट थाना, चित्तौड़गढ़ के गंगरार थाना और जोधपुर (वेस्ट) के लूणी थाना के SHO को लाइन हाजिर किया गया है। इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी जारी किए गए हैं।
इसके अलावा डिकॉय ऑपरेशन में दोषी पाए गए 11 थानों के 15 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस मुख्यालय ने जयपुर, कोटा, भरतपुर और अजमेर रेंज के आईजी को निर्देश जारी किए हैं। एडीजी ने स्पष्ट कहा कि पुलिस मुख्यालय की ओर से यह सख्त संदेश दिया गया है कि प्रदेश में बजरी के अवैध खनन, परिवहन और भंडारण में किसी भी पुलिसकर्मी की मिलीभगत या लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संबंधित जिलों के एसपी को दोषी कर्मचारियों के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब सतर्कता शाखा ने इस तरह की कार्रवाई की हो। इससे पहले नवंबर माह में भी पुलिस मुख्यालय ने व्यापक डिकॉय ऑपरेशन चलाया था, जिसमें जीरो FIR दर्ज न करना, परिवादियों से दुर्व्यवहार, साइबर अपराध की शिकायतों पर ढिलाई, एसपी कार्यालयों में प्राप्त शिकायतों का निस्तारण, थानों की गश्त व्यवस्था और महिला डेस्क पर आने वाली महिलाओं के साथ संवेदनहीन व्यवहार जैसे बिंदुओं पर पैनी नजर रखी गई थी। पुलिस मुख्यालय ने साफ कर दिया है कि अब सिर्फ अवैध खनन ही नहीं, बल्कि पुलिसकर्मियों के व्यवहार और कार्यशैली पर भी लगातार सख्त निगरानी जारी रहेगी।