Sunday, 21 December 2025

अरावली विवाद पर सियासी संग्राम तेज: राजेंद्र राठौड़ बोले– अपने कर्म छुपाने के लिए भ्रम फैला रहे गहलोत, 100 मीटर परिभाषा कांग्रेस की देन


अरावली विवाद पर सियासी संग्राम तेज: राजेंद्र राठौड़ बोले– अपने कर्म छुपाने के लिए भ्रम फैला रहे गहलोत, 100 मीटर परिभाषा कांग्रेस की देन

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रविवार को भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, भाजपा प्रवक्ता कुलदीप धनकड़ और विधायक महेंद्र पाल मीणा ने कांग्रेस और अशोक गहलोत पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अरावली बचाने की मुहिम के नाम पर गहलोत “चाय के प्याले में तूफान” खड़ा कर रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि वर्ष 2002 में गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने ही अरावली से जुड़े ऐसे निर्णय लिए, जिनके कारण आज भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

गहलोत को कांग्रेस का भी पूरा समर्थन नहीं:
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि गहलोत सोशल मीडिया पर अरावली बचाओ अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं और उन्होंने अपनी डीपी तक बदल ली, लेकिन कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता, विशेषकर प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, खुलकर उनके साथ नहीं दिख रहे हैं।

राठौड़ ने कहा कि अरावली न केवल राजस्थान बल्कि गुजरात, हरियाणा और दिल्ली तक फैली हुई है और इसका ढाई अरब वर्ष पुराना इतिहास है। यह 37 जिलों में फैली प्राकृतिक दीवार है, जो मरुस्थल के विस्तार को रोकने, भूजल रिचार्ज और पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने दावा किया कि अरावली के संरक्षण के लिए केंद्र और राज्य सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है और केंद्र सरकार इस विषय को लेकर गंभीर है।

भाजपा नेताओं ने दोहराया कि अरावली संरक्षण पर राजनीति करने के बजाय तथ्यात्मक और दीर्घकालिक समाधान पर काम होना चाहिए, ताकि प्रदेश की इस अमूल्य धरोहर को सुरक्षित रखा जा सके।

बीजेपी का जवाब: भ्रम फैला रही है कांग्रेस

इससे पहले रविवार को बीजेपी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि अरावली को लेकर भ्रम फैलाने का काम कांग्रेस और अशोक गहलोत कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2002–03 में गहलोत सरकार ने ही 1968 के लैंड फॉर्म क्लासिफिकेशन को वैधानिक मान्यता देते हुए 100 मीटर ऊंचाई की परिभाषा तय की थी और उसी आधार पर कोर्ट में हलफनामा दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य: समान मापदंड

राठौड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं का उद्देश्य अवैध खनन पर रोक और चार राज्यों के लिए एक समान मापदंड तय करना था। उन्होंने स्पष्ट किया कि 100 मीटर में “बाउंड्री कंटूर” यानी पहाड़ की तलहटी भी शामिल होती है, लेकिन कांग्रेस इसे गलत तरीके से प्रस्तुत कर रही है।

700 से ज्यादा खनन पट्टों का आरोप

बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार के कार्यकाल में अरावली की इसी परिभाषा के आधार पर 700 से अधिक खनन पट्टे दिए गए। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस अपने ही फैसलों को छिपाने के लिए आंदोलन कर रही है।

गहलोत का पलटवार: 2010 में खारिज परिभाषा को 2024 में समर्थन क्यों?

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2010 में अरावली की 100 मीटर वाली परिभाषा को सिरे से खारिज कर दिया था। ऐसे में 2024 में राजस्थान की बीजेपी सरकार ने उसी परिभाषा का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार की समिति से सिफारिश क्यों की? गहलोत ने इसे अरावली के संरक्षण के खिलाफ बताया।

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