



राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख अजीत महापात्र ने कहा कि वर्तमान समय में गौ सेवा को केवल भावनात्मक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि नीतिगत, सामाजिक और व्यावहारिक आधार पर आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गौ संरक्षण केवल गोशालाओं तक सीमित न रहकर घर, मंदिर, कृषि व्यवस्था और सरकारी नीतियों से जुड़ा व्यापक विषय बनना चाहिए।
महापात्र रविवार को पाथेय कण संस्थान के नारद सभागार में आयोजित श्री हस्तीमल जी स्मृति ईश्वर सृष्टि सम्मान एवं अमृतमयी गौ भारती ग्रंथ विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में गोभक्तों, संतों, मठों और गोशालाओं की बड़ी संख्या होने के बावजूद देशी गोवंश की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि गोशालाओं में देशी और विदेशी नस्लों के गोवंश की स्पष्ट पहचान कर उनके लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।
उन्होंने कहा कि कृषि, दुग्ध उत्पादन और धार्मिक अनुष्ठानों में गौ आधारित उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देना समय की आवश्यकता है। रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर प्राकृतिक और जैविक खेती अपनाने से स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी संभव है। पंचामृत, प्रसाद और धार्मिक कार्यों में शुद्ध गौ उत्पादों के उपयोग पर भी उन्होंने विशेष जोर दिया।
अजीत महापात्र ने समाज से आह्वान किया कि गौ सेवा को जनआंदोलन का स्वरूप दिया जाए। उन्होंने बताया कि गौ सम्मान से जुड़े कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार तक मांग-पत्र पहुंचाकर नीतिगत स्तर पर ठोस निर्णयों की पहल की जाएगी। उन्होंने कहा कि गौ आधारित जीवनशैली से न केवल देश की सांस्कृतिक पहचान सुदृढ़ होगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी बल मिलेगा।
कार्यक्रम में आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रदीप शेखावत ने हस्तीमल जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ प्रचारक का जीवन पूर्ण समर्पण, अनुशासन और त्याग का प्रतीक होता है। वहीं, निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्यामशरण देवाचार्य ने कहा कि गौ माता के बिना सनातन संस्कृति और सृष्टि की कल्पना संभव नहीं है। उन्होंने गौ सेवा को व्यावहारिक और वैज्ञानिक दृष्टि से अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर सीकर के चंद्रमादास महाराज को श्री हस्तीमल जी स्मृति ईश्वर सृष्टि सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम के अंत में संयोजक पुष्कर उपाध्याय ने आभार व्यक्त किया।