



राजस्थान सरकार की वित्तीय स्थिति को लेकर एक अहम खुलासा सामने आया है। राज्य वित्त विभाग की ओर से जारी अप्रैल से सितंबर 2025 तक की राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (FRBM) समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, भजनलाल सरकार पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ रहा है, जबकि केंद्र सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। यह रिपोर्ट शुक्रवार रात वित्त विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड की गई।
FRBM रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2025 तक राजस्थान सरकार पर कुल कर्ज 6 लाख 76 हजार 513.55 करोड़ रुपए पहुंच चुका है। वहीं बजट अनुमानों के अनुसार मार्च 2026 तक यह कर्ज बढ़कर 7 लाख 26 हजार 384.84 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
यदि पिछले वर्ष की तुलना करें तो सितंबर 2024 तक राज्य पर 6 लाख 8 हजार 813.20 करोड़ रुपए का कर्ज था। इस तरह एक साल में ही सरकार पर करीब 68 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज चढ़ गया है।
रिपोर्ट का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि जहां राज्य और केंद्र—दोनों जगह डबल इंजन की सरकार है, वहीं केंद्र से मिलने वाली सहायता में भारी कमी आई है।
अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच राजस्थान सरकार को 5,883.86 करोड़ रुपए की यूनियन ग्रांट मिली, जबकि वर्ष 2024 की समान अवधि में यह राशि 9,295.64 करोड़ रुपए थी। यानी राज्य को 3,411.78 करोड़ रुपए कम मिले, जो लगभग 36.70 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है।
सरकार ने 2025-26 के बजट में केंद्रीय सहायता के रूप में 39,193.30 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान जताया था।
FRBM रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि प्रदेश में MSME सेक्टर में निवेश तो बढ़ा है, लेकिन रोजगार के अवसर घट गए हैं।
अप्रैल से दिसंबर 2025 के बीच प्रदेश में 2 लाख 70 हजार 251 MSME यूनिट्स रजिस्टर्ड रहीं, जिनमें 7,220.15 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। निवेश में 32.44% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, लेकिन इसके बावजूद रोजगार घटकर 14.48 लाख से 14.40 लाख रह गया। यानी करीब 8 हजार नौकरियां कम हो गईं।
वहीं 2024-25 में 2.63 लाख यूनिट्स रजिस्टर्ड थीं, 5,451.61 करोड़ का निवेश हुआ था और 14.48 लाख लोगों को रोजगार मिला था।
सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों से मिलने वाले राजस्व में भी गिरावट आई है। अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच पेट्रोलियम से 1,056.53 करोड़ रुपए का राजस्व मिला, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 1,483.71 करोड़ रुपए मिले थे। इस तरह पेट्रोलियम राजस्व में 28.79% की कमी दर्ज की गई।
हालांकि कर्ज और राजस्व घाटा बढ़ा है, लेकिन कुछ मदों में सरकार की आय में तेज बढ़ोतरी भी हुई है।
भू-राजस्व से सरकार को अप्रैल–सितंबर 2025 में 552.39 करोड़ रुपए मिले, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह राशि केवल 198 करोड़ रुपए थी। यानी 178.67% की वृद्धि दर्ज की गई।
इसी तरह शराब से सरकार को छह महीने में 7,587 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है, जो पिछले साल की तुलना में 5.3% अधिक है।
रिपोर्ट के अनुसार, छह महीनों में राज्य को 24,110 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा हुआ, जो 2024-25 में इसी अवधि में 20,408 करोड़ रुपए था। यानी राजस्व घाटे में करीब 4,000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है।
हालांकि राजकोषीय घाटा सितंबर तक 35,837.48 करोड़ रुपए रहा, जो पिछले वर्ष के 36,354.98 करोड़ रुपए से थोड़ा कम है।
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि भजनलाल सरकार के दो साल के कार्यकाल में राज्य पर 1.55 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज चढ़ चुका है। उनका दावा है कि आगामी 2026-27 तक राज्य का कुल कर्ज 7.26 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा, जिससे औसतन हर राजस्थानी पर करीब एक लाख रुपए का कर्ज बैठेगा।
FRBM रिपोर्ट सामने आने के बाद राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर सियासी बहस तेज हो गई है। जहां विपक्ष इसे सरकार का वित्तीय कुप्रबंधन बता रहा है, वहीं सरकार का तर्क है कि विकास कार्यों और बुनियादी ढांचे पर निवेश के चलते कर्ज बढ़ा है। आने वाले बजट सत्र में यह मुद्दा प्रमुख रूप से उठने की संभावना है।