



राममंदिर आंदोलन के प्रमुख संत और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती को मंगलवार शाम अयोध्या में पूर्ण वैदिक रीति से जल-समाधि दी गई। उनके पार्थिव शरीर को 25-25 किलो बालू से भरी 4 बोरियों से बांधकर सरयू नदी की मध्य धारा में प्रवाहित किया गया। अयोध्या में हजारों संतों, भक्तों और रामभक्तों की उपस्थिति में यह अंतिम संस्कार संपन्न हुआ।
दोपहर 2:20 बजे उनकी अंतिम यात्रा हिंदू धाम से शुरू हुई, जो हनुमान गढ़ी और राममंदिर परिसर से होते हुए सरयू घाट पहुंची। घाट पर पार्थिव शरीर का स्नान कराया गया और मंत्रोच्चार के बीच अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई। अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को सुबह से ही आश्रम में रखा गया था, जहां बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह, समेत कई संतों–महंतों ने वेदांती जी के आश्रम जाकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। देशभर से आए संतों और श्रद्धालुओं ने उनके अंतिम दर्शन किए।
67 वर्षीय डॉ. वेदांती का सोमवार दोपहर 12:20 बजे मध्यप्रदेश के रीवा में निधन हुआ था। वे रीवा में चल रही रामकथा के दौरान अचानक बीमार पड़ गए थे। उन्हें एयरलिफ्ट कर भोपाल एम्स ले जाने की तैयारी हुई, एयर एंबुलेंस पहुंच भी गई, लेकिन घने कोहरे की वजह से लैंड नहीं कर सकी। रात करीब 11:30 बजे उनका पार्थिव शरीर अयोध्या लाया गया।
डॉ. वेदांती का जन्म 7 अक्टूबर 1958 को मध्यप्रदेश के रीवा जिले के गुढ़वा गांव में हुआ था। वे मात्र 12 साल की उम्र में अयोध्या आ गए थे और राममंदिर आंदोलन के प्रमुख संतों में शामिल रहे। वे प्रतापगढ़ और जौनपुर की मछलीशहर लोकसभा सीट से दो बार भाजपा के सांसद भी रहे। जीवनभर उन्होंने श्रीराम मंदिर आंदोलन, हिन्दू एकता और धर्मप्रचार को समर्पित किया।