



राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने रविवार को जयपुर में आयोजित विद्याभारती क्षेत्रीय प्रबंध समिति कार्यकर्ता सम्मेलन का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि विद्या भारती केवल एक संगठन नहीं, बल्कि भारत की संस्कार-निर्माण पर आधारित शिक्षण संस्कृति का सशक्त माध्यम है। यह संस्था न केवल देश का सबसे बड़ा गैर-सरकारी शिक्षा प्रदाता है, बल्कि युवा पीढ़ी के चरित्र निर्माण का राष्ट्रीय अभियान भी है।
राज्यपाल ने विद्या भारती के इतिहास का उल्लेख करते हुए बताया कि इसकी नींव गोरखपुर में नानाजी देशमुख की प्रेरणा से पड़ी, जहाँ भारतीय मूल्यों और संस्कृति पर आधारित शिक्षा देने के उद्देश्य से पहला सरस्वती शिशु मंदिर स्थापित हुआ। बाद में यह पहल अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के रूप में विकसित हुई और देशभर में विद्यालयों का विशाल नेटवर्क तैयार हुआ।
उन्होंने कहा कि विद्या भारती पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली को आधुनिक शिक्षा से जोड़ते हुए नई पीढ़ी को राष्ट्र-निर्माण के कार्य में सक्रिय रूप से तैयार कर रहा है। रटंत आधारित शिक्षा को हटाकर नवाचार-केंद्रित शिक्षण को बढ़ावा देने में संस्था की भूमिका उल्लेखनीय है।
राज्यपाल ने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति (NEP-2020) के अनुरूप विद्यार्थियों को अनुभव-आधारित और अनुकरणात्मक शिक्षण को प्रोत्साहित करना समय की आवश्यकता है। विद्या भारती इस दिशा में जो प्रयास कर रहा है, वह देश की शिक्षा प्रणाली को नई दिशा देने वाला है।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि विद्या भारती दूरस्थ, ग्रामीण, वनवासी, पर्वतीय और झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में शिशु वाटिकाओं से लेकर उच्च शिक्षा तक की सुविधाएं उपलब्ध कराकर शिक्षा के लोकतांत्रिक विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मूल्य-आधारित शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रीय चेतना के प्रसार में संस्थान के योगदान को उन्होंने अत्यंत प्रभावी बताया।
कार्यक्रम की शुरुआत में राज्यपाल ने सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन किया और धरती आबा बिरसा मुंडा को नमन करते हुए उनके योगदान को याद किया।