


राजस्थान और गुजरात में युवाओं को विदेश में अच्छी नौकरी के नाम पर ठगने वाले दो एजेंटों का बड़ा नेटवर्क सामने आया है। झुंझुनूं निवासी सोयल अख्तर (28) और गुजरात का मोहित गिरी युवाओं को 10वीं पास योग्यता पर भी आकर्षक नौकरी, अच्छी सैलरी और विदेश में सुविधाओं का लालच देकर थाईलैंड के रास्ते म्यांमार भेजते थे। वहां पहुंचने के बाद इन युवाओं को साइबर ठगी गिरोहों के हवाले कर दिया जाता था, जहां उन्हें बंधक बनाकर जबरन ‘डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड’, ‘इन्वेस्टमेंट स्कीम फ्रॉड’ और NRI—खासतौर पर अमेरिका और कनाडा के नागरिकों—से ठगी के लिए मजबूर किया जाता था। इन एजेंट्स को हर युवक के बदले मोटा कमीशन मिलता था।
शातिर एजेंट सोयल अख्तर कभी सब्जी का ठेला लगाता था और बाद में आईटी कंपनियों में छोटे-मोटे कॉन्ट्रैक्ट कार्य करने लगा। इसी दौरान उसने युवाओं को भ्रमित कर विदेश भेजने का धंधा शुरू किया। वहीं मोहित गिरी पासपोर्ट तैयार कराने, टिकट की व्यवस्था, और बैंकॉक से म्यांमार पहुंचाने का काम संभालता था। दोनों मिलकर राजस्थान और गुजरात से कई युवाओं को इस साइबर गुलामी के जाल में फंसा चुके थे।
म्यांमार में चल रहे मानव तस्करी और साइबर अपराधों के बड़े रैकेट पर भारत सरकार की सख्ती के बाद हाल ही में वहां से लगभग 500 भारतीयों को बचाकर विशेष अभियान के तहत वापस लाया गया था। इन्हीं पीड़ितों के साथ दोनों एजेंट भी खुद को ‘पीड़ित’ बताकर भारत लौट आए, लेकिन दिल्ली एयरपोर्ट पर सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ में उनकी असलियत सामने आ गई और उनके पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ।
मामले में अहम मोड़ तब आया, जब म्यांमार में कैद रहे कई भारतीयों ने लौटने के बाद इनके खिलाफ गवाही दी। CBI को 11 नवंबर 2025 को मिली शिकायत में कहा गया था कि राजस्थान, गुजरात और दिल्ली से बड़ी संख्या में युवाओं को KK पार्क जैसे स्कैम कम्पाउंड्स में रखा जाता है। इन कम्पाउंड्स को ‘साइबर गुलामी के कारखाने’ कहा जाता है, जहां कैद युवाओं से ऑनलाइन ठगी करवाकर करोड़ों की कमाई की जाती है। CBI अब इस पूरे अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जांच कर रही है।