



जोधपुर — राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने सरकारी ठेकों की बोली प्रक्रिया से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए नियम 75-A को पूरी तरह वैध करार दिया है। यह फैसला सरकारी टेंडर प्रक्रिया में कम दरों पर बोली लगाने वाले ठेकेदारों पर सीधा प्रभाव डालेगा। न्यायमूर्ति मुन्नूरी लक्ष्मण और न्यायमूर्ति बिपिन गुप्ता की डिवीजन बेंच ने कहा कि राज्य सरकार को नियम बनाने का पूर्ण अधिकार है और अत्यधिक कम दर पर बोली लगाने वालों से अतिरिक्त सिक्योरिटी लेना न तो मनमाना है, न अवैध।
यह मामला तब उठा जब जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, जयपुर, सिरोही और प्रतापगढ़ के कुल 11 ठेकेदारों ने अलग-अलग याचिकाओं में नियम 75-A को चुनौती दी। सभी ठेकेदार जल संसाधन विभाग की विभिन्न परियोजनाओं में सफल बोलीदाता थे, लेकिन विभाग द्वारा अतिरिक्त सिक्योरिटी मांगने पर उन्होंने 22 अक्टूबर 2021 की सरकारी अधिसूचना और नए नियम को अदालत में चुनौती दी।
सरकार द्वारा किसी परियोजना की अनुमानित लागत, उदाहरण के लिए 100 रुपये है। यदि कोई ठेकेदार 85 रुपये से कम में बोली लगाता है तो उसकी बोली को असंतुलित (unbalanced bid) माना जाएगा।
ऐसे ठेकेदार को सामान्य सिक्योरिटी के अलावा
असंतुलित बोली राशि का 50% अतिरिक्त सिक्योरिटी
कॉन्ट्रैक्ट साइन करने से पहले एकमुश्त जमा करनी होगी।
काम संतोषजनक तरीके से पूरा होने पर यह राशि वापस की जाएगी, लेकिन समय पर काम न होने पर इसे जब्त भी किया जा सकता है।
ठेकेदारों का पक्ष: नियम मनमाना और बोझिल
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि पहले से ही पर्याप्त सुरक्षा उपाय मौजूद हैं, ऐसे में अतिरिक्त सिक्योरिटी अनावश्यक है। उन्होंने दलील दी कि एक ही काम पर दोहरी सिक्योरिटी आर्थिक रूप से भारी है। प्रतिस्पर्धा के कारण ठेकेदार कम रेट लगाते हैं। सरकार के पास कोई डेटा नहीं कि कम रेट लगाने वाले ठेकेदार काम अधूरा छोड़ जाते हैं।
राज्य सरकार ने तर्क दिया कि जयपुर बेंच 21 जुलाई 2025 को पहले ही इसी नियम को वैध ठहरा चुकी है।ठेकेदारों ने नियम देखने के बाद ही बोली लगाई, अब चुनौती देना उचित नहीं। अतिरिक्त सिक्योरिटी से गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और काम अधूरा छोड़ने की प्रवृत्ति रुकेगी।
हाईकोर्ट ने कहा कि:सार्वजनिक खरीद अधिनियम 2012 की धारा 55 राज्य सरकार को ऐसे नियम बनाने का अधिकार देती है। बेहद कम रेट पर बोली लगाने पर यह शंका स्वाभाविक है कि काम गुणवत्तापूर्ण होगा या नहीं।कम रेट देकर बोली जीतने वाले ठेकेदारों के कारण परियोजनाएं जोखिम में पड़ सकती हैं।अतिरिक्त सिक्योरिटी से प्रतिस्पर्धा स्वस्थ बनेगी और जनता का धन सुरक्षित रहेगा।कोर्ट ने स्पष्ट टिप्पणी की कि पहले प्रतियोगिता में भाग लेकर, जीतने के बाद खेल के नियमों को चुनौती देना स्वीकार्य नहीं।
आख़िर में अदालत ने कहा कि नियम समान रूप से लागू होता है, यह न तो मनमाना है, न असंवैधानिक। यह सरकारी हितों और परियोजनाओं की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। सभी 11 याचिकाएं खारिज कर दी गईं।