Monday, 24 November 2025

श्यालावास जेल में कैदियों ने तैयार किए ऊनी कंबल, पहली खेप उदयपुर भेजी, पुलिस विभाग का 2000 कंबलों का मिला ऑर्डर


श्यालावास जेल में कैदियों ने तैयार किए ऊनी कंबल, पहली खेप उदयपुर भेजी, पुलिस विभाग का 2000 कंबलों का मिला ऑर्डर

दौसा जिले की विशिष्ट केंद्रीय कारागार श्यालावास अब केवल एक सुधार गृह नहीं, बल्कि उत्पादन और आत्मनिर्भरता का मॉडल केंद्र बन चुका है। जेल में बंद कैदियों द्वारा तैयार किए गए उच्च गुणवत्ता वाले स्टील ग्रे ऊनी कंबलों की पहली खेप शनिवार को उदयपुर के लिए रवाना की गई। यह पूरी परियोजना जेल मुख्यालय, जयपुर और शिवांगन स्पिनर एक्सपोर्ट इंडिया, जयपुर के बीच लगभग छह महीने पहले हुए महत्वपूर्ण एमओयू का परिणाम है, जिसका उद्देश्य कैदियों को कौशल विकास प्रशिक्षण, उत्पादन आधारित पारिश्रमिक और रिहाई के बाद सम्मानजनक पुनर्वास का मार्ग देना है।

जेल उद्योगशाला में स्थापित अत्याधुनिक मशीनरी — 5 रेपियर लूम, वारपिंग, मिलिंग, रेज़िंग, बेलिंग, एम्ब्रॉयडरी, सिलाई और वाइंडर — कैदियों को टेक्सटाइल सेक्टर में व्यावहारिक प्रशिक्षण दे रही हैं। जेल अधीक्षक पारस जांगिड ने बताया कि वर्तमान में 10 बंदी प्रतिदिन 8 घंटे काम कर रहे हैं। आगे इस क्षमता को बढ़ाकर 25–30 बंदियों को रोजगार देने की योजना है।

शनिवार को 356 कंबलों की पहली खेप औपचारिक रूप से केंद्रीय कारागार उदयपुर के लिए रवाना की गई। इस मौके पर अधीक्षक जांगिड, शिवांगन स्पिनर के निदेशक भाटी और जेलर सतेंद्र उपस्थित रहे।

गुणवत्ता की जानकारी देते हुए निदेशक भाटी ने बताया कि प्रत्येक कंबल में 80% ऊन, 2.450 किलोग्राम वजन और 230×152 सेंटीमीटर का मानक आकार है। कंबल की कीमत ₹843 प्रति नग निर्धारित की गई है और उत्पाद भारतीय मानकों के अनुरूप है।

जेल अधीक्षक जांगिड ने बताया कि राज्य के अन्य कारागृहों के लिए नियमित सप्लाई के साथ-साथ पुलिस विभाग का 2000 कंबलों का बड़ा ऑर्डर भी प्रक्रिया में है, जिसकी आपूर्ति जल्द की जाएगी। यह उत्पादन इकाई न केवल कैदियों के लिए रोजगार का साधन बन रही है, बल्कि राज्य की आपूर्ति श्रृंखला को भी मजबूत कर रही है। इस पहल ने जेल को आत्मनिर्भरता और सुधार के नए मॉडल के रूप में स्थापित कर दिया है।

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