Thursday, 06 November 2025

हाईकोर्ट का फैसला: कृषि भूमि पर बिना रूपांतरण मैरिज गार्डन चलाना गैरकानूनी, जेडीए को समान कार्रवाई के निर्देश


हाईकोर्ट का फैसला: कृषि भूमि पर बिना रूपांतरण मैरिज गार्डन चलाना गैरकानूनी, जेडीए को समान कार्रवाई के निर्देश

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण और रिपोर्टेबल जजमेंट देते हुए स्पष्ट किया है कि जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) क्षेत्राधिकार के अंतर्गत कृषि भूमि पर बिना भू-रूपांतरण (लैंड कन्वर्जन) के मैरिज गार्डन या किसी भी व्यावसायिक गतिविधि का संचालन अवैध है।

जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश मैरिज गार्डन संचालक जगदीश प्रसाद शर्मा की याचिका को खारिज करते हुए दिया। याचिकाकर्ता ने जेडीए द्वारा उसके मैरिज गार्डन को सील करने और जेडीए ट्रिब्यूनल द्वारा उस कार्रवाई को सही ठहराने के आदेश को चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कृषि भूमि का उपयोग केवल कृषि उद्देश्यों के लिए ही किया जा सकता है। जब तक उस भूमि का विधिवत रूप से रूपांतरण नहीं कराया जाता, तब तक वहां किसी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधि—जैसे मैरिज गार्डन, होटल, या बैंकेट हॉल—कानूनी रूप से नहीं चलाए जा सकते।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि जयपुर में बड़ी संख्या में ऐसे मैरिज गार्डन हैं जो कृषि भूमि पर संचालित हो रहे हैं, परंतु जेडीए ने केवल उसके गार्डन पर कार्रवाई की, जबकि प्रभावशाली लोगों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया। इस पर न्यायालय ने जेडीए को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि “पिक एंड चूज की नीति” नहीं अपनाई जानी चाहिए।

हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि जेडीए शहर में ऐसी सभी अवैध इकाइयों पर समान रूप से कार्रवाई करे। साथ ही यह भी कहा कि यदि जोन आयुक्त से लेकर जेडीए आयुक्त तक के स्तर पर ऐसे मामलों में भेदभाव पाया गया, तो अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जेडीए ट्रिब्यूनल को जेडीए अधिनियम, 1982 की धारा 83 के तहत गठित किया गया है, जो उसे न्यायिक अधिकार प्रदान करती है। भले ही यह संस्था नाम से सिविल कोर्ट नहीं कही जाती, परंतु यह न्यायिक कार्य करती है और सिविल कोर्ट जैसी शक्तियों से संपन्न है। यह निर्णय अब जयपुर में कृषि भूमि पर अवैध रूप से चल रहे मैरिज गार्डनों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

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