



जयपुर। निर्माण नगर सी-ब्लॉक में अवैध व्यावसायिक निर्माण को लेकर चल रहे विवाद में कोर्ट ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जेडीए आयुक्त श्रीमती आनंदी, सचिव निशांत जैन, प्रवर्तन अधिकारी शिवनारायण यादव और अवैध निर्माणकर्ता राजेंद्र अग्रवाल (उर्फ राजेंद्र खंडेलवाल) के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। अदालत ने जयपुर पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वे तीन माह के भीतर मामले की जांच पूरी कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। हाई कोर्ट ने आगामी सुनवाई की तारीख 12 जुलाई 2026 तय की है। र्ट ने जेडीए आयुक्त से भी विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
यह आदेश उस परिवाद पर दिया गया है जिसे क्षेत्रीय निवासियों ने अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी के माध्यम से दायर किया था। आरोप है कि निर्माण नगर मुख्य सड़क पर बिना स्वीकृति के बहुमंजिला व्यावसायिक भवन का निर्माण किया जा रहा था, जिसकी कई बार शिकायत के बावजूद जेडीए ने कार्रवाई नहीं की।
स्थानीय समिति का आरोप है कि अवैध निर्माण के विरुद्ध बार-बार जेडीए में शिकायतें की गईं, लेकिन निर्माण नहीं रोका गया। मामला जेडीए ट्रिब्यूनल तक पहुंचा, जहां से 15 दिन में जवाब मांगा गया और आदेश दिया गया कि इस अवधि में निर्माण नहीं हटाया जाए। इसके बावजूद निर्माण जारी रहा और भवन तीन मंजिल तक खड़ा हो गया। निवासियों ने दावा किया कि बिल्डर ने खुलेआम कहा था “जेडीए और कोर्ट मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।”
समिति ने जेडीए अधिकारियों को लीगल नोटिस भेजकर 17 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के राजेंद्र बड़जात्या बनाम यूपी सरकार केस के आदेशों का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि बिना स्वीकृति निर्माण होने पर कार्रवाई नहीं करने वाले अधिकारी अवमानना और अभियोजन के पात्र होंगे। इसके बावजूद जेडीए अधिकारियों ने निर्माण नहीं रुकवाया और फिनिशिंग कार्य तक चलता रहा।
समिति सदस्यों प्रभात चौधरी, मुरारी लाल शर्मा, सतीश जैन, आरआर मेहता और आरके श्रीवास्तव ने श्यामनगर थाने से लेकर उच्च पुलिस अधिकारियों तक शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद मजिस्ट्रेट कोर्ट-6 में परिवाद दायर किया गया।