Wednesday, 15 October 2025

ख्वाजा की दरगाह और संकट मोचन महादेव मंदिर के विवाद को लेकर नया मोड़: हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में दी नई अर्जी, विवादित स्थल को सील कर CCTV लगाने की मांग


ख्वाजा की दरगाह और संकट मोचन महादेव मंदिर के विवाद को लेकर नया मोड़: हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में दी नई अर्जी, विवादित स्थल को सील कर CCTV लगाने की मांग

अजमेर। अजमेर जिले में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और संकट मोचन महादेव मंदिर को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की सिविल पश्चिम अदालत संख्या-1 में एक नई अर्जी दायर की है, जिसमें उन्होंने उस क्षेत्र को तुरंत सील करने और CCTV कैमरे लगाने की मांग की है, जहां कथित तौर पर संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है।

विष्णु गुप्ता की अर्जी में क्या कहा गया है

अर्जी में कहा गया है कि दरगाह परिसर के जिस हिस्से में भगवान शिव का चित्र और शिवलिंग जैसे प्रतीकात्मक चिन्ह मौजूद बताए जा रहे हैं, वहां हाल के दिनों में निर्माण और मरम्मत के नाम पर छेड़छाड़ की जा रही है।
गुप्ता का आरोप है कि इससे महत्वपूर्ण पुरातात्विक साक्ष्य नष्ट होने का खतरा है, जिससे अदालत में चल रहे मुकदमे की निष्पक्ष जांच प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया है कि विवादित स्थल को तत्काल सील किया जाए,और वहां CCTV कैमरे लगाकर 24 घंटे निगरानी की व्यवस्था की जाए, ताकि किसी भी प्रकार की गतिविधि या साक्ष्य नष्ट करने की कोशिश रोकी जा सके।
दरगाह कमेटी पर गंभीर आरोप

विष्णु गुप्ता ने अपनी अर्जी में दरगाह कमेटी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि “दरगाह कमेटी मरम्मत और पुनर्निर्माण के बहाने प्राचीन हिन्दू साक्ष्यों को मिटाने का प्रयास कर रही है।” उन्होंने कहा कि जब तक विवाद का अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, विवादित स्थल को संरक्षित रखना आवश्यक है, अन्यथा “इतिहास और साक्ष्य दोनों नष्ट हो जाएंगे।” यह विवाद सितंबर 2024 में शुरू हुआ था, जब विष्णु गुप्ता ने अजमेर की सिविल कोर्ट पश्चिम में याचिका दायर कर यह दावा किया कि ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह परिसर में ही संकट मोचन महादेव मंदिर मौजूद है। उन्होंने यह भी कहा था कि दरगाह के दक्षिणी हिस्से में प्राचीन शिवलिंग, त्रिशूल और मंदिरनुमा संरचना के अवशेष पाए जा सकते हैं।
इस याचिका में उन्होंने दरगाह कमेटी ख्वाजा गरीब नवाज, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पक्षकार बनाया था।

अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को

सिविल पश्चिम कोर्ट संख्या-1 ने इस नई अर्जी को स्वीकार कर लिया है। अब मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर 2025 को होगी। कानूनी जानकारों का कहना है कि यदि कोर्ट ने अर्जी स्वीकार की तो यह देशभर में चल रहे धार्मिक स्थलों से जुड़े विवादों पर एक महत्वपूर्ण नजीर बन सकती है।

प्रशासन ने बढ़ाई सतर्कता

अजमेर जिला प्रशासन ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए दरगाह क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि “अदालत के निर्देश आने तक किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य या धार्मिक गतिविधि में बदलाव पर रोक रखी जाएगी।” स्थानीय पुलिस ने भी इलाके में ड्रोन सर्विलांस और अस्थायी बैरिकेडिंग बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

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