Tuesday, 16 September 2025

हाईकोर्ट ने 2020 के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा विधायक खरीद-फरोख्त मामले को किया बंद, आरोपियों को मिली क्लीन चिट


हाईकोर्ट ने 2020 के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा विधायक खरीद-फरोख्त मामले को किया बंद, आरोपियों को मिली क्लीन चिट

जयपुर। राजस्थान की राजनीति में पांच साल पहले हुए हाई-प्रोफाइल विधायक खरीद-फरोख्त प्रकरण पर अब विराम लग गया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की अंतिम रिपोर्ट (FR) स्वीकार करते हुए प्रकरण को बंद करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि एसीबी की जांच में अपराध सिद्ध नहीं हुआ है, ऐसे में एफआईआर पर कार्रवाई जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है।

यह मामला जुलाई 2020 का है, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच गहरा राजनीतिक टकराव सामने आया था। आरोप था कि सचिन पायलट और उनके समर्थकों ने विधायकों की खरीद-फरोख्त की साजिश रचकर गहलोत सरकार को गिराने की योजना बनाई थी। साथ ही, राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कराने के लिए विधायकों को पैसों का लालच देने का भी आरोप लगा।

पहले यह मामला एसओजी ने दर्ज किया था, बाद में इसे एसीबी को स्थानांतरित कर दिया गया। एसीबी ने उदयपुर के भरत मालानी और ब्यावर के अशोक सिंह सहित अन्य पर एफआईआर दर्ज की थी। सचिन पायलट का नाम भी बाद में इस केस में जोड़ा गया।

एसीबी की जांच और कोर्ट का फैसला
एसीबी ने केस को फोन रिकॉर्डिंग पर आधारित बताया था, जिसमें राजनीतिक हालात, कोरोना और आईपीएल जैसी सामान्य बातें थीं। न तो रिकॉर्डिंग में खरीद-फरोख्त का जिक्र था और न ही बैंक लेन-देन में कोई संदिग्ध गतिविधि मिली। इसी आधार पर एसीबी ने अपनी FR कोर्ट में दाखिल की। न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार ने इसे स्वीकार करते हुए प्रकरण को बंद कर दिया।

आरोपियों का पक्ष
अशोक सिंह और भरत मालानी ने हाईकोर्ट में कहा कि यह केस पूरी तरह से राजनीतिक साजिश था, जिसे गहलोत सरकार ने सचिन पायलट को बदनाम करने के लिए दर्ज किया। उन्होंने इसे अपनी जीत करार देते हुए कहा कि "सच्चाई सामने आ गई है।"

सचिन पायलट की प्रतिक्रिया
पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि उन्होंने अभी रिपोर्ट नहीं देखी है, लेकिन अगर कोर्ट ने फैसला दे दिया है तो अब कहने को कुछ नहीं है। उन्होंने न्यायपालिका पर भरोसा जताते हुए कहा कि कभी-कभी फैसले में देरी हो सकती है, लेकिन न्यायपालिका में सबका विश्वास है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
हाईकोर्ट के फैसले के बाद भाजपा हमलावर हो गई। प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि यह कांग्रेस की "आंतरिक फूट" को छिपाने की साजिश थी, जो एक बार फिर नाकाम रही। वहीं जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत ने कहा कि "सांच को आंच नहीं। कांग्रेस की आपसी लड़ाई ने राज्य को कई साल पीछे धकेल दिया।"

विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि न्यायालय ने मामला बंद करने के निर्देश दिए हैं।उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फर्जी तरीके से मामला दर्ज किया और वह झूठा पाया गया। उन्होंने कहा कि एसओजी और एसीबी पर लगाने की अनुमतिजाने पर इस मामले को समाप्त करने के निर्देश दिए हैं।

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