जोधपुर बहुचर्चित एएनएम भंवरी देवी हत्याकांड मामले में दो साल पुराने हाईकोर्ट आदेश के बावजूद भंवरी देवी के परिवार को पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ नहीं मिले हैं। स्थिति यह है कि जोधपुर सीएमएचओ ऑफिस अब भी भंवरी देवी को मृत मानने को तैयार नहीं है।
इसी को लेकर भंवरी देवी के बेटे साहिल पेमावत और दो बेटियों ने 3 सितम्बर को हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। इस पर 9 सितम्बर को जस्टिस रेखा बोराणा की बेंच ने सुनवाई करते हुए जोधपुर सीएमएचओ समेत अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। कोर्ट ने आवश्यक कागजात दाखिल करने के निर्देश दिए और आगे की सुनवाई अगली तारीख पर होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट यशपाल ने कोर्ट में कहा कि तत्कालीन सीएमएचओ ने 16 जनवरी 2012 को ही भंवरी देवी को मृत मानकर सेवा से पृथक करने का आदेश जारी कर दिया था। इसके बाद चिकित्सा विभाग ने 28 फरवरी 2012 को बेटे साहिल को अनुकंपा नियुक्ति भी दी थी। इसके बावजूद वर्तमान सीएमएचओ ऑफिस पेंशन देने से इनकार कर रहा है और मूल सेवा पुस्तिका लेने के लिए अधीनस्थ अदालत में कोई कदम नहीं उठाया।
परिवार और वकीलों का कहना है कि एक ओर 2011 से ही भंवरी देवी की हत्या का मामला ट्रायल कोर्ट में चल रहा है और सरकार ने खुद आदेश जारी कर उन्हें मृत माना, वहीं दूसरी ओर पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ रोकना विभाग की गंभीर असंवेदनशीलता और विरोधाभास है।