जयपुर। राजस्थान विधानसभा में सोमवार को बहस और हंगामे के बीच राजस्थान आयुर्विज्ञान विधेयक (रिम्स बिल) पारित कर दिया गया। इस बिल के जरिए जयपुर में एम्स की तर्ज पर बनने वाले राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) को स्वायत्त संस्था का दर्जा दिया गया है। इसके साथ ही राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) और कैंसर इंस्टीट्यूट का विलय रिम्स में किया जाएगा।
रिम्स बिल में इसके गठन से लेकर गवर्निंग काउंसिल तक के प्रावधान शामिल हैं। गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे और संस्था का अलग से फंड होगा। सरकार हर वर्ष रिम्स को अनुदान भी देगी।
आरएलडी विधायक सुभाष गर्ग ने सवाल उठाया कि जब एम्स की गवर्निंग काउंसिल का अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री होता है और उसमें सांसद भी शामिल होते हैं, तो रिम्स की गवर्निंग काउंसिल में जनप्रतिनिधियों को क्यों नहीं रखा गया। उन्होंने कहा कि इससे यह आभास होता है कि अफसर विधायकों से ऊपर हैं।
कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि यदि नया संस्थान बनाना है तो अलग से बनाइए, लेकिन RUHS को बंद करने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह तो "पुरानी दुकान के सामान से नई दुकान खोलने" जैसा है।
बहस के दौरान डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल पर तंज कसते हुए कहा, “आपको मैं अच्छा च्यवनप्राश लाकर दूंगा ताकि वृद्धावस्था में आपकी याददाश्त मजबूत रहे।” इस पर नेता प्रतिपक्ष ने पलटवार करते हुए कहा कि एक डिब्बा जोगाराम पटेल को भी भेज देना चाहिए।
इस दौरान कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल और खाद्य मंत्री सुमित गोदारा के बीच भी तीखी नोक-झोंक हुई। गोदारा ने कहा कि धारीवाल को प्रदेश की चिकित्सा तरक्की पसंद नहीं है। जवाब में धारीवाल ने कहा कि यह आपका विषय नहीं है, जिस पर गोदारा ने चुनौती दी कि “ज्यादा ज्ञानी हो तो बहस कर लो।”
बहस के दौरान शांति धारीवाल ने उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा से पूछा कि रिम्स का पूरा नाम क्या है। इस पर सभापति ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि बिल पर जवाब देते समय बता देंगे। धारीवाल ने तंज किया कि उपमुख्यमंत्री को ही संस्थान का पूरा नाम नहीं पता, जबकि रिम्स का अर्थ है — राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज।