अजमेर। सनातन धर्म के महान संत और महानिर्वाणी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती जी महाराज ने आज अजमेर स्थित जय अम्बे सेवा समिति द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में सत्संग किया। इस अवसर पर उन्होंने अपनी अमृतवाणी से वृद्धजनों और उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
आचार्य जी ने वृद्धजनों द्वारा स्वयं तैयार किए गए सात्विक भोजन का सेवन करते हुए उसकी शुद्धता और पवित्रता की सराहना की। उन्होंने कहा कि भोजन केवल शरीर का पोषण ही नहीं करता, बल्कि मन और आत्मा को भी निर्मल बनाता है। सात्विक आहार से सात्विक विचार उत्पन्न होते हैं और शुद्ध विचार जीवन को आनंदमय और शांतिपूर्ण बनाते हैं। अन्न को हमारे शास्त्रों ने ब्रह्म कहा है, अतः शुद्ध अन्न ग्रहण करना ही सच्ची साधना है।
उन्होंने आगे कहा कि वृद्धावस्था निराशा का नहीं, बल्कि साधना और आत्मस्मरण का समय है। वृद्धजनों को चाहिए कि वे अपने जीवन के अनुभव अगली पीढ़ी के साथ साझा करें, ताकि धर्म, सत्य और कर्तव्य–पथ पर समाज का मार्गदर्शन होता रहे।
उन्होंने समिति के सेवाभावियों को सत्साहित्य भेंट करते हुए उनके कार्यों की सराहना की। समिति की ओर से घनश्याम काबरा ने आश्रम की व्यवस्थाओं और गतिविधियों की जानकारी दी।
इस अवसर पर सनातन धर्म रक्षा संघ अजयमेरू राजस्थान के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश अजय शर्मा, देवेंद्र त्रिपाठी, विजय कुमार शर्मा, ब्रजेश गौड़, प्रकाश खन्ना, टीकमदास मोरयानी सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।