राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष राजीव अरोड़ा ने राज्य के निर्यात में आई भारी गिरावट पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार, राजस्थान जैसे संसाधन-संपन्न राज्य में पिछले एक वर्ष में 30% निर्यात की गिरावट गंभीर आर्थिक और औद्योगिक संकट का संकेत है।
आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023-24 में राजस्थान का निर्यात ₹83,704 करोड़ था, जो वर्ष 2024-25 में घटकर मात्र ₹59,511 करोड़ रह गया। इस गिरावट के कारण देश के कुल निर्यात में राजस्थान की हिस्सेदारी 2.4% से घटकर 1.8% तक सिमट गई है।
अरोड़ा ने याद दिलाया कि उनके नेतृत्वकाल में निर्यात ने लगातार नए रिकॉर्ड बनाए थे। जब प्रदेश से ₹70,000 करोड़ का निर्यात हुआ था, तब दो वर्षों में इसे ₹1 लाख करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया था। अगले ही वर्ष यह आंकड़ा ₹83,000 करोड़ से अधिक हो गया था। लेकिन वर्तमान में निर्यात अपने उच्चतम स्तर से लगभग आधा रह गया है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब वे पर्यटन विकास निगम और राजस्थान स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन का नेतृत्व कर रहे थे, तब दोनों ने इतिहास का सर्वाधिक लाभ दर्ज किया था। इसका कारण था – पारदर्शिता, उद्योगपतियों की समस्याओं का समाधान और ईमानदार प्रयास।
आज की स्थिति में राजस्थान के इंजीनियरिंग गुड्स, रेडीमेड गारमेंट्स, यार्न, केमिकल्स जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हैं। भिवाड़ी और नीमराना जैसे औद्योगिक हब संकट में हैं। नई फैक्ट्रियाँ स्थापित नहीं हो पा रही हैं और लॉजिस्टिक्स की ऊँची लागत निर्यात को महँगा बना रही है।
तुलनात्मक रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्य अपने औद्योगिक आधार और नीतिगत समर्थन की वजह से वैश्विक निर्यात बाज़ार में अपनी स्थिति मजबूत बनाए हुए हैं। जबकि राजस्थान के पास खनिज संपदा, प्राकृतिक संसाधन और पारंपरिक उद्योगों की अपार संभावनाएँ हैं, लेकिन नीतिगत ठहराव और लापरवाही के चलते राज्य पिछड़ रहा है।
अरोड़ा ने कहा कि यह स्थिति सुधारने के लिए गंभीर मंथन और ठोस कार्ययोजना की आवश्यकता है। सरकार को उद्योगपतियों और निर्यातकों की वास्तविक समस्याओं को समझते हुए बुनियादी ढाँचे को दुरुस्त करने और समय पर प्रोत्साहन देने की दिशा में कदम उठाने होंगे। तभी राजस्थान का निर्यात न केवल पटरी पर लौट सकता है बल्कि देश के अग्रणी राज्यों की तरह रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच सकता है।