देहरादून। भगवा वस्त्र धारण किए, नंगे पांव, सिर पर गंगाजल लिए — यह दृश्य आमतौर पर भारत में सावन माह की कांवड़ यात्रा में देखने को मिलता है। लेकिन इस बार यह दृश्य कुछ खास रहा, जब जापान के होशी टाकायकी, जिन्हें आध्यात्मिक नाम बाला कुंभ गुरु मुनि दिया गया है, करीब 20 जापानी अनुयायियों के साथ कांवड़ यात्रा करते देहरादून पहुंचे। वे पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ पवित्र गंगाजल लेकर हरिद्वार से पैदल चले और देहरादून में दो दिवसीय भंडारे का आयोजन कर अपने जैसे अन्य शिवभक्तों को भोजन कराया।
कौन हैं बाला कुंभ गुरु मुनि?
होशी टाकायकी जापान के व्यवसायी हैं। करीब 20 वर्ष पहले वे तमिलनाडु आए, जहां उन्होंने नाड़ी ज्योतिष से अपनी आध्यात्मिक यात्रा का आरंभ किया। ज्योतिषियों ने उन्हें बताया कि उनका पूर्व जन्म हिमालय में बीता था और इस जीवन में उनका उद्देश्य हिंदू सनातन परंपरा को अपनाना और प्रचारित करना है। तभी से उन्होंने अपने व्यवसाय की बागडोर अनुयायियों को सौंप दी और स्वयं को शिवभक्ति और तपस्या के लिए समर्पित कर दिया। उनके अनुयायी जापान सहित अन्य देशों में नियमित रूप से वेद पाठ, ध्यान, और रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
जापान में शिव मंदिर, भारत में आश्रम
बाला कुंभ गुरु मुनि ने टोक्यो स्थित अपने घर को शिव मंदिर में परिवर्तित कर दिया है। उन्होंने जापान में ही एक और नया शिव मंदिर स्थापित किया है। इसके अलावा भारत में पुडुचेरी में 35 एकड़ भूमि पर एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया है। साथ ही उत्तराखंड में एक आश्रम और ध्यान केंद्र की योजना भी निर्माणाधीन है।