जयपुर। तेज बारिश के बावजूद जयपुर में सोमवार को पारंपरिक उल्लास और सादगी के साथ बूढ़ी तीज की सवारी निकाली गई। यह ऐतिहासिक सवारी पारंपरिक आस्था और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक मानी जाती है। सवारी की शुरुआत रंग-बिरंगे पारंपरिक झांकियों और कलाकारों की जीवंत प्रस्तुतियों से हुई। विशेष आकर्षण के रूप में गामा पहलवान हाथी पर सवार होकर पचरंगा झंडा हाथ में लिए आगे बढ़े, जिसके पीछे बैलों से जुड़ी तोपगाड़ी और ऊंटों पर सवार हथियारबंद सुरक्षाकर्मी चल रहे थे।
बूढ़ी तीज का विशेष महत्व विवाहित महिलाओं के लिए होता है, जो इस दिन व्रत रखकर अपने पति के दीर्घायु और सौभाग्य की कामना करती हैं। आज दिनभर शहर के विभिन्न हिस्सों में पारंपरिक गीतों की मधुर गूंज सुनाई दी और महिलाएं रंग-बिरंगे परिधान पहनकर मंदिरों में पूजा अर्चना करती रहीं। उत्सव का माहौल बारिश के बावजूद फीका नहीं पड़ा, बल्कि लोगों ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ भागीदारी निभाई।
इससे पूर्व रविवार को तीज माता की सवारी भी धूमधाम से निकाली गई थी, जो श्रावण मास की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का शुभारंभ मानी जाती है। बूढ़ी तीज की सवारी राजस्थान की समृद्ध लोकसंस्कृति, परंपरा और श्रद्धा का जीवंत प्रमाण है, जो पीढ़ियों से जनमानस को जोड़ती आई है।