नई दिल्ली। लोकसभा में "ऑपरेशन सिंदूर" को लेकर मंगलवार को दूसरा दिन बेहद गरमाया रहा। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस, व्यंग्य और आक्रोश का माहौल बना रहा। रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और विदेश मंत्री सहित सरकार के कई वरिष्ठ नेताओं ने जहां ऑपरेशन को पूरी तरह सफल बताया, वहीं विपक्ष ने सरकार की मंशा, रणनीति और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर केवल रोका गया है, बंद नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, “हमने ऑपरेशन इसलिए रोका क्योंकि राजनीतिक और सैन्य उद्देश्य पूरे हो चुके थे। अगर पाकिस्तान फिर दुस्साहस करता है, तो हम और अधिक उग्रता से जवाब देने के लिए तैयार हैं।”
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बताया कि पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर के लिए औपचारिक अनुरोध DGMO के माध्यम से आया था। यह अनुरोध कुछ मित्र देशों की सलाह के बाद पाकिस्तान ने भेजा।
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा, “मुझे दुख है कि विपक्ष को अपने देश के विदेश मंत्री पर विश्वास नहीं है, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति पर है। इसीलिए वे अगले 20 वर्षों तक विपक्ष में ही बैठेंगे।”
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत ने ढाई मोर्चों पर लड़ाई लड़ी—एक मोर्चा कांग्रेस की सोशल मीडिया राजनीति थी, जो भारतीय सेना और प्रधानमंत्री के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी कर रही थी। वहीं बैजयंत पांडा ने कांग्रेस नेता शशि थरूर का नाम लेते हुए व्यंग्य किया कि यदि उन्हें बोलने की छूट दी जाती तो विपक्ष की बातों में कुछ वजन होता।
विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “अगर ऑपरेशन सिंदूर अब भी अधूरा है और पाकिस्तान आगे हमला कर सकता है, तो सफलता किस बात की?” उन्होंने पूछा कि अगर अब PoK नहीं लिया जाएगा तो कब लिया जाएगा?
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जब एक गोरा अमेरिका से सीजफायर की घोषणा करता है, तो भारत सरकार चुप क्यों रहती है? उन्होंने सरकार से पूछा कि अगर ट्रम्प गलत थे तो अपने पायलट्स की सराहना सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं की गई?
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा और सपा सांसद रमाशंकर राजभर ने सरकार की नीति को लेकर तीखा आक्रोश व्यक्त किया और सवाल उठाया कि अगर पाकिस्तान घुटनों पर था, तो सीजफायर क्यों किया गया?
कांग्रेस सांसद अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने राफेल विमान के गिरने की तस्वीरें सदन में दिखाईं और दावा किया कि इस घटना को मीडिया और सरकार ने छुपाया। वहीं अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला ने प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री से आग्रह किया कि वे 35 राफेल विमानों की परेड कराकर भ्रम दूर करें।
कांग्रेस सांसद बृजेंद्र सिंह ओला ने ऑपरेशन को इंटेलिजेंस फेल्योर करार दिया और शहीद जवान सुरेंद्र सिंह के नाम का उल्लेख करते हुए गृह मंत्री के बयान को चुनौती दी।
सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि सरकार अमेरिका के दबाव में झुकी है, जबकि भारत ने कभी नेहरू युग में ऐसे समझौते नहीं किए थे। इस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कड़ा विरोध दर्ज कराया और पीठासीन अध्यक्ष ने विपक्ष के कुछ वाक्यों को सदन की कार्यवाही से हटाने का आदेश दिया।
सदन में यह बहस अब राजनीतिक रणनीति, सैन्य पारदर्शिता और विदेश नीति की दिशा जैसे अहम मुद्दों पर केंद्रित हो चुकी है, जिसमें दोनों पक्ष अपनी-अपनी स्थिति पर अडिग नजर आए।