Thursday, 21 August 2025

लोक संस्कृति के संग निकली तीज माता की सवारी, राज्यपाल बागडे और उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने की महाआरती


लोक संस्कृति के संग निकली तीज माता की सवारी, राज्यपाल बागडे और उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने की महाआरती

जयपुर। हरियाली तीज के पावन अवसर पर जयपुर में राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित तीज महोत्सव-2025 का भव्य शुभारंभ हुआ। पारंपरिक राजसी शान, लोक कलाओं और भक्ति भाव से सजी तीज माता की शोभायात्रा ने न केवल शहरवासियों बल्कि देशी-विदेशी पर्यटकों को भी मोहित कर लिया। यह दो दिवसीय महोत्सव राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं का जीवंत उदाहरण बना।

शोभायात्रा की शुरुआत सिटी पैलेस के जनानी ड्योढ़ी से हुई और यह त्रिपोलिया गेट, छोटी चौपड़, चौगान स्टेडियम होते हुए तालकटोरा पोंड्रिक पार्क तक पहुँची। छोटी चौपड़ पर हुई महाआरती में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे और उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने गरिमामयी उपस्थिति के साथ भाग लिया। दिया कुमारी द्वारा की गई आरती ने माहौल को आध्यात्मिक आभा से भर दिया।

कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, राज्य सरकार के मंत्रीगण, सांसद, विधायक, वरिष्ठ अधिकारी, मीडिया प्रतिनिधि और आमजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

शाही सवारी में कच्छी घोड़ी, गैर, कालबेलिया, चरी नृत्य, कठपुतली, बहुरूपिया जैसी लोक कलात्मक प्रस्तुतियाँ विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। राजस्थानी शृंगार में सजे ऊँट, हाथी, बग्घियाँ, बैलगाड़ियाँ और घोड़े राजसी शान के प्रतीक बने। लगभग 200 लोक कलाकारों ने अपनी रंगारंग प्रस्तुतियों से राजस्थान की लोक-संस्कृति को जीवंत किया।

जयपुर के प्रसिद्ध कठपुतली कलाकार राजू भाट, तेजपाल नागौरी (नागौर) और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सपेरा पूरणनाथ जैसे कलाकारों की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लहरिया साड़ियों में सजी महिलाओं की कलश यात्रा, महिला पंडितों द्वारा संपन्न तीज माता पूजन, और सांस्कृतिक झांकियाँ कार्यक्रम की विशेष झलकियाँ रहीं।

इस ऐतिहासिक आयोजन का सीधा प्रसारण विभिन्न टीवी चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर किया गया। इसके अतिरिक्त, राज्यभर में 200 स्थानों पर बड़ी स्क्रीन लगाकर आमजन को आयोजन से जोड़ा गया।

तीज महोत्सव-2025 न केवल राजस्थान की सांस्कृतिक जड़ों और परंपराओं को सहेजने वाला पर्व बना, बल्कि यह नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक पहचान से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी सिद्ध हुआ।

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