झालावाड़ जिले के मनोहर थाना उपखंड के पीपलोदी गांव में शुक्रवार को हुए दर्दनाक स्कूल भवन हादसे के बाद शनिवार को गांव में मातम और गुस्से का माहौल छाया रहा। हादसे में जान गंवाने वाले 7 बच्चों में से 6 का अंतिम संस्कार पीपलोदी गांव में किया गया, जबकि एक बच्चे का अंतिम संस्कार पास के गांव चांदपुरा भीलान में हुआ। जैसे ही गांव में एक साथ 6 अर्थियां उठीं, चीख-पुकार और करुण क्रंदन से पूरा गांव गूंज उठा।
शनिवार सुबह 5 बजे एसपी और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में सभी बच्चों के शव परिजनों को सौंपे गए। मनोहर थाना अस्पताल से शवों को अलग-अलग वाहनों से उनके घर लाया गया। शवों के पहुंचते ही गांव में कोहराम मच गया। इससे पहले ही ग्रामीणों ने अर्थियां तैयार करना शुरू कर दिया था। भारी पुलिस बल की निगरानी में शवों को गांव के श्मशान घाट तक लाया गया।
भाई-बहन कान्हा और मीना को एक ही चिता पर अंतिम विदाई दी गई। हादसे में जान गंवाने वाले इन दोनों मासूमों को एक ही अर्थी पर श्मशान ले जाया गया। श्मशान में पांच चिताओं पर छह बच्चों का अंतिम संस्कार एक साथ किया गया। हर चिता को बच्चों के पिता ने मुखाग्नि दी। चिताओं को अग्नि देने के साथ ही वहां मौजूद हर आंख नम हो गई।
पीपलोदी के नीचला श्मशान में पांच शवों को लाया गया। शनिवार सुबह यहां कान्हा, मीना, सतीश, हरीश और कुंदन का अंतिम संस्कार किया गया। पिललोदी गांव में उपरला श्मशान में छात्रा पायल का अंतिम संस्कार किया गया है। इलाके के चांदपुरा भीलान गांव के श्मशान में छात्रा प्रियंका का अंतिम संस्कार किया गया है।
ग्रामीणों में इस हादसे को लेकर जबरदस्त आक्रोश और पीड़ा है। ग्रामीणों ने बताया कि हादसे के बाद गांव के किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला, पूरा गांव शोक और सन्नाटे में डूबा है। कुछ परिवारों के तो इकलौते चिराग बुझ गए, जबकि एक परिवार की दोनों संतानें हादसे में खत्म हो गईं। मृत बच्चों की उम्र 7 से 10 साल के बीच थी और अधिकांश परिवार बेहद गरीब हैं, जिनके माता-पिता मेहनत-मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं।
झालावाड़ कलेक्टर पिपलोदी गांव पहुंचे
झालावाड़ जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ शनिवार सुबह पिपलोदी गांव पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवारों और बच्चों से बात की।