मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हरियाली तीज के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए इसे परंपरा और पर्यावरण संरक्षण का उत्सव बताया। उन्होंने कहा कि यह दिन न केवल सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि प्रकृति से प्रेम और संरक्षण का संदेश भी देता है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि हरियाली तीज 2025 के मौके पर राज्यभर में ढाई करोड़ पौधे लगाए जाएंगे, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि पिछले वर्ष इसी दिन प्रदेश में 2 करोड़ पौधारोपण कर ‘हरियालो राजस्थान’ अभियान की शुरुआत की गई थी। इस वर्ष यह संख्या बढ़ाकर 2.5 करोड़ पौधों तक पहुंचाई जा रही है। अभियान के तहत ‘एक पेड़ मां के नाम’, ‘मातृ वन’, जियो टैगिंग, और सामुदायिक भागीदारी जैसे नवाचारों को अपनाकर इसे एक जन-आंदोलन का स्वरूप दिया गया है।
मुख्यमंत्री शर्मा ने बताया कि उनकी सरकार ने 5 वर्षों में 50 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। अब तक 3.6 करोड़ पौधारोपण हो चुके हैं और इस वर्ष 10 करोड़ पौधों का लक्ष्य रखा गया है। राज्य के हर जिले, पंचायत, स्कूल, संस्थान, और शहरी क्षेत्रों को इस कार्यक्रम से जोड़ा जा रहा है।
उन्होंने भारतीय संस्कृति के पर्यावरणीय पक्ष को रेखांकित करते हुए कहा कि तीज समेत हमारे सभी पर्व प्रकृति से जुड़े हुए हैं – चाहे वह मकर संक्रांति, वसंत पंचमी, ओणम, या छठ पूजा हों। उन्होंने ग्रंथों से श्लोक उद्धृत करते हुए वृक्षों के महत्व पर प्रकाश डाला:
दशकूपसमा वापी, दशवापीसमो ह्रदः।
दशह्रदसमो पुत्रो, दशपुत्रसमो द्रुमः।।
उन्होंने इस अभियान को "विकसित, हरित, आपणो अग्रणी राजस्थान" के सपने से जोड़ा और जनता से आह्वान किया कि वे एकजुट होकर इस हरियाली क्रांति में सहभागी बनें।
मुख्यमंत्री शर्मा ने साथ ही जल संरक्षण की दिशा में भी चल रहे अभियानों – जैसे ‘वंदे गंगा जल संरक्षण’, ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’, और ‘गंगा दशहरा जल स्त्रोत पूजन’ – का ज़िक्र करते हुए कहा कि सरकार की भूमिका केवल नीति निर्धारण तक सीमित नहीं है, बल्कि वह सक्रिय भागीदारी निभा रही है। उन्होंने बताया कि CSR और प्रवासी राजस्थानियों के सहयोग से राज्यभर में अब तक 4,500 से अधिक रिचार्ज शाफ्ट बनाए जा चुके हैं, जो भूजल स्तर को पुनर्जीवित करेंगे।
राजस्थान अब वन एवं वृक्ष आवरण वृद्धि के मामले में देश के शीर्ष चार राज्यों में शामिल हो चुका है, जो इस बात का प्रमाण है कि सरकार की हरित नीतियां ज़मीनी स्तर पर परिणाम दे रही हैं।
मुख्यमंत्री शर्मा ने अंत में कहा, “पर्यावरण संरक्षण कोई एक दिन का कार्य नहीं, यह हर नागरिक का सतत प्रयास है। राजस्थान की 8 करोड़ जनता इस संकल्प को सिद्धि में बदल रही है।”