झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के भरतपुर में कथित स्वागत कार्यक्रम को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने खुद सफाई दी है। मंत्री दिलावर ने स्पष्ट किया कि स्वागत-सत्कार या माला पहनना उनकी आदत में नहीं है और वह बीते 36 वर्षों से माला नहीं पहन रहे हैं।
मंत्री ने कहा, “पिपलोदी की घटना हृदय विदारक है। मैं खुद वहां गया, पीड़ित परिवारों से मिला। ऐसे वक्त में कोई यह कल्पना भी कैसे कर सकता है कि मैं स्वागत करवाऊंगा? यह सोच भी असंवेदनशील है।”
भरतपुर में ढोल बंद करवाया, बच्चों से पंखुड़ियां फिंकवाई नहीं
मदन दिलावर ने बताया कि भरतपुर में वे एक घुमंतू समुदाय के बच्चों के छात्रावास में गए थे। बच्चों ने स्वागत स्वरूप ढोल बजाना शुरू किया तो उन्होंने फौरन मना किया। “मैंने कहा- हादसा हो गया है, ढोल मत बजाओ। ढोल और पंखुड़ियों को वहीं बंद करवा दिया गया।”
प्रधान चार्ज कार्यक्रम में भी माला नहीं पहनी
एक अन्य कार्यक्रम में जहां नवनियुक्त प्रधान ने चार्ज संभाला, वहां माला आदि लाई गई थीं, लेकिन मंत्री ने दोहराया कि उन्होंने माला नहीं पहनी। “मैंने साफ मना कर दिया, मेरी माला पहनने की कोई परंपरा ही नहीं है।”
मथुरा मंदिर तक नहीं पहनूंगा माला – दिलावर
दिलावर ने बताया कि उनका पहला संकल्प 1990 में लिया गया था कि अयोध्या में राम मंदिर बनने तक माला नहीं पहनूंगा। वह संकल्प राम मंदिर बनने पर पूरा हुआ। “अब मेरा दूसरा संकल्प है कि जब तक भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में भव्य मंदिर नहीं बनता, तब तक माला नहीं पहनूंगा।”
फोटो में दिखाई गई माला के सवाल पर मंत्री ने कहा, “जो फोटो वायरल है उसमें माला तो दिख रही है, लेकिन मैंने नहीं पहनी। शायद आयोजन स्थल की सजावट में थी, या दूसरों के गले में।”