कोटा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोटा में आयोजित एक दीक्षांत समारोह में कोचिंग सेंटर कल्चर को लेकर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कोचिंग सेंटरों का वर्तमान ढांचा और कार्यप्रणाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के मूल उद्देश्य के खिलाफ है। यह प्रणाली छात्रों पर अत्यधिक मानसिक दबाव डालती है और उनके समग्र विकास में बाधा बनती है।
धनखड़ ने कहा कि कोटा जैसे शहरों में शिक्षा का फैक्ट्री जैसा संचालन हो रहा है, जो छात्रों की रचनात्मकता को खत्म कर रहा है। उन्होंने राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की उपस्थिति में सुझाव दिया कि राज्य सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे स्कूल और कॉलेजों में छात्रों की संख्या बढ़े और कोचिंग पर निर्भरता कम हो।
उपराष्ट्रपति ने कोचिंग सेंटरों द्वारा विज्ञापन और होर्डिंग्स पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपये की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह पैसा उन छात्रों से आता है जो कठिन परिस्थितियों में फीस भरते हैं। “ये विज्ञापन भले ही दिखने में आकर्षक हों, पर ये हमारी आत्मा के लिए आंख की किरकिरी बन गए हैं,” उन्होंने कहा।
धनखड़ ने भारतीय गुरुकुल परंपरा का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे संविधान की 22 दृश्य प्रतिमाओं में गुरुकुल की छवि है। हमें इस ज्ञानपरंपरा को फिर से जीवंत करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि कोचिंग सेंटरों को कौशल केंद्रों में परिवर्तित किया जाना चाहिए, जिससे शिक्षा केवल अंक लाने तक सीमित न रह जाए बल्कि जीवन के लिए जरूरी कौशल भी दे सके।
उन्होंने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में बदलते शक्ति समीकरणों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब युद्ध भूमि या समुद्र पर नहीं बल्कि कोड, क्लाउड और साइबर में हो रहे हैं। 21वीं सदी की शिक्षा प्रणाली को इसी के अनुरूप ढालने की जरूरत है।
समारोह में उपराष्ट्रपति ने “एक पेड़ मां के नाम” और “एक पेड़ पिता के नाम” अभियान के तहत पौधरोपण किया। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने भी इस अभियान में भाग लिया। इस दौरान संस्थान के 189 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं, जिनमें अंकुर अग्रवाल को कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग और ध्रुव गुप्ता को इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल दिया गया।
The obsession with perfect grades and standardized scores have compromised curiosity, which is an inalienable facet of human intelligence.
— Vice-President of India (@VPIndia) July 12, 2025
The seats are limited but coaching centers are all over the country. They prepare the minds of students for years together and robotize… pic.twitter.com/fBsm7seuHR