जयपुर। राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर संवैधानिक प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक मर्यादाओं को लेकर बहस तेज हो गई है। बारां जिले की अंता सीट से पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा, जिन्होंने एसडीएम पर पिस्टल तानने के मामले में तीन साल की सजा पाई थी, अब राजभवन से सजा माफी की गुहार लगा रहे हैं।
मीणा ने राज्यपाल के समक्ष दया याचिका प्रस्तुत की है, जिस पर सरकारी प्रक्रियाएं शुरू हो चुकी हैं। राजभवन ने संबंधित जिला प्रशासन व पुलिस से रिपोर्ट मांगी है। यदि राज्यपाल उनकी सजा को कम करते हैं या माफ करते हैं, तो उनकी निलंबित विधानसभा सदस्यता बहाल होने का रास्ता खुल सकता है।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह "लोकतंत्र की हत्या" है और कानून के समानता सिद्धांत का अपमान। उनका कहना है कि सरकार संवैधानिक पदों का दुरुपयोग कर रही है।
कंवरलाल मीणा को एसडीएम से दुर्व्यवहार और पिस्टल तानने के मामले में तीन साल की सजा मिली थी, जो उच्च न्यायालय द्वारा भी बरकरार रखी गई। सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने अकलेरा कोर्ट में सरेंडर कर जेल की राह पकड़ी।
23 मई 2025 को विधानसभा स्पीकर द्वारा उनकी सदस्यता समाप्त करने की अधिसूचना जारी की गई, और चुनाव आयोग को सीट रिक्त होने की सूचना भेज दी गई थी। हालांकि आयोग ने अब तक अंता सीट पर उपचुनाव की घोषणा नहीं की है, जिससे कंवरलाल के पास सजा माफी की स्थिति में विधायकी बहाल कराने का विकल्प शेष है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में समय लगने की आशंका और न्यायिक अवकाश के चलते मीणा ने संवैधानिक दया याचिका का रास्ता चुना है। राज्यपाल की अनुमति से अनुच्छेद 161 के अंतर्गत दया याचिका पर निर्णय लिया जा सकता है।
झालावाड़ एसपी ने अकलेरा थाना प्रभारी से दो बार रिपोर्ट और ओपिनियन मंगवाए हैं – 20 और 24 जून को पत्र जारी कर, और 26 जून को रिमाइंडर देकर।