उदयपुर। आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) सेटअप लगाने के लिए की गई टेंडर प्रक्रिया में बड़ी अनियमितता सामने आई है। यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि प्रदेश के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में पहली बार IVF सेंटर की स्थापना हो रही थी। इस प्रोजेक्ट के लिए उदयपुर कलेक्टर ने DMFT योजना के तहत ₹3.50 करोड़ का बजट स्वीकृत किया था।
शिकायत पर की गई जांच के बाद चिकित्सा शिक्षा निदेशालय के आयुक्त इकबाल खान ने 24 अप्रैल को कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक डॉ. विपिन माथुर को आदेश जारी करते हुए निर्देश दिया है कि टेंडर में फर्जी दस्तावेज पेश करने वाली फर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाए। इसके साथ ही जारी कार्यादेश को रद्द करने, किसी भी तरह का भुगतान नहीं करने तथा संबंधित फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दोबारा टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश दिए गए हैं।
जांच में यह भी सामने आया कि तकनीकी समिति ने 9 दिसंबर को प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों पर नकारात्मक टिप्पणी दी थी, क्योंकि ये नियत तिथि के बाद जमा किए गए थे। इसके बावजूद टेंडर स्वीकार किया गया। वित्तीय सलाहकार ने भी 3 दिसंबर को ही पुनः टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की थी, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया।
जांच में सबसे गंभीर तथ्य यह सामने आया कि टेंडर लेने वाली फर्म ने मूल निविदा में एक कंपनी के ओईएम प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए, लेकिन बाद में अलग-अलग कंपनियों के दस्तावेज अपलोड कर दिए गए। इससे यह स्पष्ट हो गया कि फर्म द्वारा पूर्व में जमा किए गए दस्तावेज फर्जी थे। इसके अलावा, कॉलेज प्रशासन ने ई-प्रोक पोर्टल पर आवश्यक शॉर्टफॉल दस्तावेजों की मांग भी नहीं की, जिससे प्रक्रियागत पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।