Friday, 25 April 2025

जनसहभागिता से ही टूटेगी बाल विवाह की कड़ी: बाल आयोग अध्यक्ष कुलदीप रांका


जनसहभागिता से ही टूटेगी बाल विवाह की कड़ी: बाल आयोग अध्यक्ष कुलदीप रांका

जयपुर। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष कुलदीप रांका ने गुरुवार को कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई ही नहीं बल्कि मानवता के लिए एक गंभीर चुनौती है, और इससे लड़ाई समाज की सक्रिय भागीदारी से ही जीती जा सकती है। वे इंदिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान में आयोजित राज्य स्तरीय आमुखीकरण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे, जिसका आयोजन बाल आयोग और बाल अधिकारिता विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

रांका ने कहा कि बाल विवाह पर वैश्विक स्तर पर चिंता है। दुनिया में 45% बाल विवाह साउथ एशिया में होते हैं, और संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक बाल विवाह मुक्त विश्व का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में पिछले एक दशक में सुधार हुआ है—राज्य अब देश में छठे स्थान पर है, जबकि पहले शीर्ष पर था, लेकिन यह संतोष का विषय नहीं है।

उन्होंने अक्षय तृतीया व पीपल पूर्णिमा जैसे अवसरों पर संभावित बाल विवाह को रोकने के लिए जनप्रतिनिधियों, प्रशासन और सामाजिक संगठनों को सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। सोशल मीडिया, जनसंवाद और जनजागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।

आयुक्त, बाल अधिकारिता विभाग बचनेश अग्रवाल ने कहा कि बाल विवाह बच्चों के सपनों को कुचल देता है। वहीं, आयोग के सदस्य सचिव श्री अविचल चतुर्वेदी ने लड़के और लड़कियों के साथ समानता को बाल विवाह उन्मूलन की कुंजी बताया।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती पल्लवी शर्मा ने बाल विवाह विरोधी कानूनों की जानकारी साझा की और लोगों को इनके प्रति जागरूक करने पर बल दिया। कार्यशाला में यूनिसेफ और यूएनएफपीए के प्रतिनिधियों श्री संजय निराला और श्री दीपेश गुप्ता ने बताया कि राजस्थान ने बाल अधिकारों की दिशा में देश में पहली बार गर्ल चाइल्ड पॉलिसी लागू कर मिसाल पेश की है।

अंतिम सत्र में आयोग के सदस्य श्रीमती संगीता गर्ग, ध्रुव कुमार चारण, धनपत राज गुर्जर, महिला एवं बाल विकास विभाग के शासन सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने बाल विवाह उन्मूलन की रणनीतियों पर गहन मंथन किया। कार्यशाला में प्रशासन, पुलिस, स्वयंसेवी संगठनों और बाल संरक्षण से जुड़े प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया और व्यवहारिक चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।

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